इस से सवाल उठते हैं कि क्या जनता का न्याय व्यवस्था से मोह भंग होता जा रहा है? क्या पुलिस के प्रति लोगों का विश्वास घटा है ? क्या समाज में गिरावट आई है, जिस से लोग अपना आपा खो रहे हैं? क्या जल्दी इंसाफ नहीं मिलने की वजह से कानून को अपने हाथ में लेने की फितरत बढ़ी है? आखिर वे कौन सी वजहें हैं, जिन के चलते कानून के दायरे में रहने वाले कानून के खलनायक बनने लगे हैं?
सड़क हादसे में एक बच्चे की मौत हो गई. गांव वालों को गुस्सा आ गया और बस में आग लगा दी.
एक घर में आग लगने पर फायर ब्रिगेड को फोन किया गया. देर से पहुंचने की वजह से घर जल कर खाक हो गया. भीड़ अपने गुस्से पर काबू नहीं रख सकी. उस ने फायर ब्रिगेड की गाड़ी को भी फूंक दिया.
राशन की एक दुकान के लगातार बंद रहने पर भीड़ ने दुकान का ताला तोड़ कर दुकान में रखे सामान को लूट लिया.
खाद नहीं मिलने पर किसानों द्वारा किए गए चक्का जाम में पुलिस के बल प्रयोग के बाद गुस्साए किसानों ने मुरैना जिले के सबलगढ़ कसबे में जम कर पथराव किया और पुलिस चौकी समेत कुछ दुकानों में आग लगा दी. साथ ही, अनुविभागीय दंडाधिकारी और पुलिस अधिकारों को विश्रामगृह में बंधक बना कर वहां पथराव किया. पुलिस ने बचाव में हवाई फायर किए और आंसू गैस का इस्तेमाल भी किया.
मंदिर तोड़े जाने के खिलाफ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा आयोजित 3 घंटे के चक्का जाम का पूरे देश में व्यापक असर. संघ समर्थकों ने जम कर उपद्रव किया. उन से निबटने के लिए पुलिस लाठीचार्ज और फायरिंग करनी पड़ी, जिस से कई घायल हुए और कई मौतें हुईं.
राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के कार्यकर्ताओं की गुंडई के विरोध में रेल यात्रियों के साथ छात्रों ने मारपीट की.
'जय श्रीराम' का नारा दलितों और मुसलमानों से बुलवाने के चक्कर में हर रोज कहीं न कहीं फसाद खड़ा हो जाता है. सरकारी पार्टी की शह पर लोग और ज्यादा उग्र हो रहे हैं और कानून हाथ में ले रहे हैं.
दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष आदेश गुप्ता खुलेआम अपने कार्यकर्ताओं को कह रहे हैं कि घरघर जा कर चैक करो कि वहां बंगलादेशी और रोहिंग्या शरणार्थी रह रहे हैं, जबकि यह काम सरकार का है और आदेश गुप्ता न मंत्री हैं, न मुख्यमंत्री.
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भोजपुरी सिनेमा की टूटती जोड़ियां
भोजपुरी सिनेमा में यह बात जगजाहिर है कि हीरोइनों का कैरियर केवल भोजपुरी ऐक्टरों के बलबूते ही चलता रहा है, क्योंकि ज्यादातर मामलों में भोजपुरी के टौप ऐक्टरों के हिसाब से ही फिल्मों में हीरोइनों को कास्ट किया जाता है.
गुंजन जोशी तो 'फाड़' निकले
\"दिल्ली के नैशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से ऐक्टिंग की ट्रेनिंग ले कर आया तो था ऐक्टर बनने, पर बन गया फिल्म स्टोरी राइटर. इस फील्ड में भी मुझे दर्शकों और फिल्म इंडस्ट्री के लोगों का प्यार मिला, क्योंकि मेरा शौक एक आर्टिस्ट बनना ही था, जिस में राइटिंग, डायरैक्शन, ऐक्टिंग सब शामिल रहा है. मेरे आदर्श गुरुदत्त हैं, क्योंकि उन्होंने लेखन से ले कर अभिनय तक सब किया और दोनों में कामयाब रहे,\" यह कहना है गुंजन जोशी का.
सैक्स रोगों की अनदेखी न करें
सैक्स से जुड़े रोग आदमी और औरत दोनों में सैक्स के प्रति अरुचि बढ़ाते हैं. इस के साथ ही ये शारीरिक और मानसिक दोनों ही तरह की परेशानियों को भी बढ़ाते हैं.
एक थप्पड़ की कीमत
वैसे तो रवि अपने एकलौते बेटे सोहम को प्यार करता था, पर जबतब उसे थप्पड़ भी मार देता था. एक दिन उस ने फिर वही सब दोहराया, लेकिन यह थप्पड़ उस पर ही भारी पड़ गया. लेकिन कैसे?
वर्मा साहब गए पानी में
वर्मा साहब की रिटायरमैंट गाजेबाजे के साथ हुई. घर पर दावत भी दी गई, पर उस के बाद उन की पत्नी ने ऐसा बम फोड़ा कि वर्मा साहब के कानों तले की जमीन खिसक गई...
नाजायज संबंध औनलाइन ज्यादा महफूज
सदियों से मर्दऔरतों में नाजायज संबंध बनते आए हैं. अब तो इस तरह के एप आ गए हैं, जहां औनलाइन डेटिंग की जा सकती है. इसे एक सुरक्षित तरीका बताया जाता है. क्या वाकई में ऐसा है?
कत्ल करने से पीछे नहीं हट रही पत्नियां
एक पारिवारिक झगड़े के मसले पर फैसला देते हुए कोर्ट ने टिप्पणी की है कि \"बीते डेढ़ दशक में प्रेम प्रसंगों के चलते होने वाली हत्याओं की दर बढ़ी है, जिस से समाज पर बुरा असर पड़ा है. इस पर गंभीरता से विचार करना जरूरी है.'
आसाराम का ढहता साम्राज्य
आसाराम के संदर्भ में आज का समय हमेशा याद रखने लायक हो गया है, क्योंकि धर्म के नाम पर अगर कोई यह समझेगा कि वह देश की जनता और कानून को ठेंगा बताता रहेगा, तो उस की हालत भी आसाराम बापू जैसी होनी तय है.
अडाणीजी यह राष्ट्रवाद क्या है ?
जिस तरह भारत के बड़े रुपएपैसे वाले, चाहे अडाणी हों या अंबानी की जायदाद बढ़ती चली जा रही है और दुनिया के सब से बड़े पूंजीपतियों की गिनती में इन को शुमार किया जाने लगा है, उस से यह संकेत मिलने लगा था कि कहीं न कहीं तो दो और दो पांच है.
सोशल मीडिया: 'पठान' के बहाने नफरती ट्रैंड का चलन
सुनामी चाहे कोई समुद्र उगले या कोई फिल्म, ज्वार का जोश ठंडा होने पर ही पता चलता है कि तबाही किस हद तक की थी. कुछ ऐसा ही महसूस हुआ फिल्म 'पठान' को ले कर.