![क्षारीय भूमि का सुधार एवं प्रबंधन](https://cdn.magzter.com/1344336963/1715943451/articles/eVrlWwKAq1715948196705/1715948525299.jpg)
क्षारीय भूमि की मृदाओं का पी. एच. मान 8.5 से अधिक व संतृप्त निष्कर्ष की विद्युत चालकता 4 डेसी साइमन प्रति मीटर से कम होती है तथा विनिमयशील सोडियम 15 प्रतिशत से अधिक होता है। घुलनशील लवणों में सोडियम की प्रधानता के कारण मृदा कणों का प्रकीर्णन हो जाता है जिससे इन मृदाओं की भौतिक दशा खराब हो जाती है। क्षारीयता पौधों की जड़ों तक पानी की आपूर्ति को सीमित करता है जिस कारण पौधों की जड़ों के विकास में बाधा आती है । इसके परिणामस्वरूप फास्फोरस और जिंक की पौधों में कमी हो जाती है। इसके अलावा लोहे की कमी तथा बोरान विषाक्तता भी पाई जाती है। क्षारीयता से क्षतिग्रस्त होने पर पौधों में मिट्टी से आवश्यक पोषक तत्व निकालने की क्षमता कम हो जाती है जिस कारण पौधा सही से बढ़वार नहीं ले पाता।
क्षारीय भूमि का सुधार एवं प्रबंधन :
1. खेतों की मेढ़बंदी व समतलीकरण करना
मेढ़बंदी का मुख्य उद्देश्य है कि जब खेतों का सुधार कर रहे हो तो दूसरे खेत जिसमें सुधार प्रक्रिया नहीं कर रहे, उसका पानी खेत में न आ सके। दूसरा सुधारक डालने के बाद पानी खेत से बहार न जा सके। इसलिए खेत के चारों तरफ लगभग 45-60 सैंटीमीटर ऊंची मेढ़ को बनायें।
भूमि का समतलीकरण करना भी अति आवश्यक है ताकि लवण निक्षालन की प्रक्रिया खेत की जमीन पर एक सामान हो सके। यदि खेत का समतलीकरण ठीक से नहीं हुआ तो लवण निक्षालन की प्रक्रिया एक समान नहीं होगी जिससे पौधों का बढ़वार एक समान नहीं होगा। खेतों का समतलीकरण लेजर लेबलर की सहायता से करें व ध्यान रखें कि खेत का ढलान 0.1 प्रतिशत हो तो उत्तम है। भूमि सुधार की यह प्रक्रिया जनवरी से मार्च तक पूरा करें।
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![अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कृषि विज्ञानी अरतुरी इल्मारी विरटानन](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1722911/dnxC_mYUH1717587904507/1717587989063.jpg)
अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कृषि विज्ञानी अरतुरी इल्मारी विरटानन
अरतुरी एक रसायन विज्ञानी थे। 1945 में उनको रसायन विज्ञान के विषय में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उनका जन्म 1895 में फिनलैंड के हैलसिनकी में हुआ। उन्होंने अपने स्कूल की पढ़ाई फिनलैंड के विपुरी शहर में स्थित क्लासीकल लाइसीऊम से की। उनके द्वारा चारे की फसल के रख-रखाव के लिए कई आविष्कार किये गये।
![गोबर और केंचुआ बेचकर अच्छी आमदनी प्राप्त करने वाले सफल किसान-ज्ञानेश तिवारी](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1722911/RmYRnBDQo1717587825883/1717587902075.jpg)
गोबर और केंचुआ बेचकर अच्छी आमदनी प्राप्त करने वाले सफल किसान-ज्ञानेश तिवारी
रासायनिक कीटनाशकों के बुरे प्रभाव के चलते खेती-किसानी में जैविक खाद का उपयोग बढ़ा है। इसी कड़ी में वर्मी कम्पोस्ट (केंचुआ खाद) के इस्तेमाल का महत्व भी बढ़ा है। गोबर और केंचुआ ने शाहजहांपुर के एक प्रगतिशील युवा किसान की जिंदगी बदल कर रख दी।
![जैवविविधता के नुकसान, बढ़ते प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन की वजह से बढ़ रही संक्रामक बीमारियाँ](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1722911/qFie3EZd-1717587529923/1717587824109.jpg)
जैवविविधता के नुकसान, बढ़ते प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन की वजह से बढ़ रही संक्रामक बीमारियाँ
जिस तरह इंसान पृथ्वी पर बदलाव कर रहा है उन सभी कारकों से न केवल संक्रामक रोग बढ़ रहे हैं, साथ ही उनमें कमी भी आ सकती है। इस अध्ययन में जो सबसे हैरान करने वाली बात सामने आई, वो यह है कि प्राकृतिक आवासों के खत्म होने या उनमें बदलाव से संक्रामक रोगों का खतरा घट सकता है।
![कवर फसलों से बढ़ सकती है कृषि पैदावार](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1722911/QVu3apQ4L1717587412122/1717587527188.jpg)
कवर फसलों से बढ़ सकती है कृषि पैदावार
अक्सर सुरक्षा या कवर फसलों का उपयोग मुख्य फसलों की कटाई के बाद जमीन को ढकने के लिए किया जाता है। कवर फसलें क्या होती हैं? कवर फसलें नकदी फसलों से अलग होती हैं, जैसे कि मकई या सोयाबीन। मिट्टी को सुधारने के लिए फसलों का पहला काम खेत को कवर करना है। वे खेतों में मिट्टी के क्षरण और पोषक तत्वों के नुकसान से बचाने के लिए लगाए जाते हैं।
![मंगल ग्रह पर कैसे हो सकती है सब्जियों की पैदावार](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1722911/fhppOp2Jg1717587283506/1717587409390.jpg)
मंगल ग्रह पर कैसे हो सकती है सब्जियों की पैदावार
अंतरिक्ष में मानव बस्तियों को आबाद करना एक ऐसा सपना है, जिसे इंसान सदियों से देख रहा है। हालांकि यह तभी मुमकिन हो सकता है, जब इसके लिए वहां पर्याप्त मात्रा में भोजन, पानी और ऑक्सीजन उपलब्ध हो। इसी कड़ी में वैज्ञानिकों ने अपने एक नए अध्ययन में जांच की है कि कैसे मंगल ग्रह पर सब्जियों की पैदावार में इजाफा किया जा सकता है।
![आलू की फसल को बैक्टीरियल विल्ट रोग से बचा सकता है कैल्शियम](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1722911/2LlNscS4M1717587191714/1717587281168.jpg)
आलू की फसल को बैक्टीरियल विल्ट रोग से बचा सकता है कैल्शियम
अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिकों द्वारा किए एक नए अध्ययन से पता चला है कि कैल्शियम, आलू के पौधों को बैक्टीरियल विल्ट नामक रोग से लड़ने में मदद करता है। उनके मुताबिक कैल्शियम, इस बीमारी के प्रति आलू के पौधों की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा देता है। यह जानकारी उन किसानों और कृषि वैज्ञानिकों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है जो दुनिया भर में आलू की खेती से जुड़े हैं।
![पैकिंग भोजन कैसर कारक रसान का होना चिता का विषय](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1722911/5-ZXBzwc61717587134851/1717587190345.jpg)
पैकिंग भोजन कैसर कारक रसान का होना चिता का विषय
भारत से विदेशों में निर्यात किए जाने वाले मसालों में कैंसर पैदा करने वाले रसायनों की मौजूदगी को लेकर हंगामा अभी थमा नहीं है।
![अमेरिकन फाउल बुड मधुमक्खियों का एक विनाशकारी दुश्मन](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1722911/5G6_KJI401717586868851/1717587066000.jpg)
अमेरिकन फाउल बुड मधुमक्खियों का एक विनाशकारी दुश्मन
मधुमक्खियां एक सामाजिक कीट हैं जो छत्ते में एक साथ रहती हैं। छत्ते के में सदस्यों के कुल तीन प्रकार है: रानी, श्रमिक और ड्रोन।
![मृदा परीक्षण फसल उत्पादकता एवं गुणवत्ता वृद्धि हेतु वरदान](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1722911/0x-LeBTdG1717586538387/1717586857916.jpg)
मृदा परीक्षण फसल उत्पादकता एवं गुणवत्ता वृद्धि हेतु वरदान
किसान भाई यदि भूमि को सुधारना व कम लागत में अधिक मनाफा कमाना चाहते है, तो मृदा परीक्षण अवश्य करायें, जिससे उचित पोषक तत्व प्रबंधन (मांग आधारित) सुनिश्चित किया जा सके। इससे न केवल मृदा स्वस्थ बनी रहेगी बल्कि उत्पादन लागत में कमी आयेगी। वर्तमान भारतीय कृषि परिदृश्य में उत्पादन लागत को कम करते हुए किसानों की आय बढ़ाने पर जोर देने की जरूरत है।
![सहभागी पौध प्रजनन किसानों के लिए एक नई उम्मीद](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1722911/RFBPqIt5c1717586164835/1717586531474.jpg)
सहभागी पौध प्रजनन किसानों के लिए एक नई उम्मीद
सहभागी पादप प्रजनन में भागीदारी (पीपीबी) दृष्टिकोण का एक मूलभूत पहलू है। इसमें पादप प्रजनकों, किसानों, शोधकर्ताओं, उपभोक्ताओं, गैर सरकारी संगठनों, सरकारी संगठनों और कभी-कभी निजी क्षेत्र की संस्थाओं सहित विभिन्न हितधारकों के बीच सहयोग शामिल है।