Rishi Prasad Hindi Magazine - April 2024
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In this issue
* They alone become great in the true sense.
* A village ruined by insulting a saint. 7
* Is equality of justice only for name’s sake?
* How to make your birth and action divine?
* Pujya Bapuji’s message for World Peace
* A small remedy did what doctors couldn’t do.
* Never be taken in by crooked and evil-minded people.
* Society expresses gratitude to Bapuji...
* The Gita will be taught in the schools of Gujarat and Haryana
* Real Life * March ahead !
* ‘Most divorces arising from love marriages’ : Court
* Fasting on this day yields the fruit of doing penance for 10,000 years.
* A sadhan that gives direct realization of the Self – Swami AkhandÍnanda
* When Shri RÍma showered His grace upon HanumÍnji
* How was Vallabhipur ruined?
* Happiness obtained from sensual pleasure, only gives rise to sorrow.
* Tadasana: for vigour, vitality, semen retention, etc.
* …and the Mughal Empire came to an end.
* White pumpkin (ash gourd), a unique remedy for problems related with pitta and the summer
* You should eat grapes for strength, nourishment and health
* The best month for accumulating religious merit and devotional love
* A mantra to ward off worry and defects of the mind
पुण्य-संचय व भगवत्प्रीति के लिए सर्वोत्तम मास
वैशाख मास: २३ अप्रैल से २३ मई
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गर्मी या पित्त संबंधी समस्याओं का बेजोड़ उपाय : सफेद पैठा
सफेद पेठा (भूरा कुम्हड़ा) आयुर्वेद के अनुसार अत्यंत लाभदायी फल, सब्जी तथा अनेकों रोगों में उपयोगी औषधि है। इसका पका फल सर्व दोषों को हरनेवाला है।
2 mins
... और मुगल साम्राज्य का अंत हो गया
जो दूसरों को परेशान करके राज्य करते हैं अथवा जो दूसरों को परेशान करके मजा लेते हैं उनके लिए कुदरत की क्या-क्या व्यवस्था है ! मुगल शासन था। दो राजकुमार दिल्ली से बाहर जंगल में आखेट (शिकार) करने गये।
3 mins
कैसे नष्ट हो गया था वल्लभीपुर?
मैंने सुनी है एक कथा कि भावनगर के नजदीक वल्लभीपुर नाम का एक नगर था । एक संत कहीं से घूमते-घामते वहाँ पहुँचे। वहाँ एकांत में उन्होंने अपने ध्यान-भजन की जगह चुनी। उनका शिष्य भिक्षा लेकर आता था।
1 min
जब हनुमानजी पर छलक पड़े श्रीरामजी
२३ अप्रैल (चैत्र मास की पूर्णिमा) को श्री हनुमानजी का प्राकट्य दिवस है। हनुमानजी अद्भुत शक्ति, निष्ठा और भक्ति के प्रतीक हैं। यह दिवस न केवल भक्ति की महिमा को चिह्नित करता है बल्कि आध्यात्मिक जागृति और आत्मसाक्षात्कार के महत्त्वपूर्ण पहलुओं को भी सामने लाता है।
1 min
मोक्षप्राप्ति का साक्षात् साधन
जिस काल में, जिस देश में और जिस रूप में 'अहं - अहं' का स्फुरण हो रहा है यदि उसी काल, उसी देश और उसी रूप में वही 'अहं' तत्त्वतः परमात्मा न हो तो परमात्मा नाम की किसी वस्तु की सिद्धि, स्थिति या उपलब्धि नहीं हो सकती क्योंकि वह नश्वर, अपूर्ण तथा अप्राप्त होगी।
1 min
वास्तविक जीवन
रविदासजी को उनके पिता ने ७ जोड़ी जूते बनाकर दिये। २ रुपये जोड़ी बेचने थे। उन्होंने पिता को १४ रुपये के बदले १२ रुपये दिये।
2 mins
अपने जन्म-कर्म को दिव्य कैसे बनायें?
२९ अप्रैल को पूज्य संत श्री आशारामजी बापू का अवतरण दिवस है । आप सभीको इस दिन की खूब - खूब बधाई ! इस पावन पर्व पर जानते हैं जन्म-कर्म को दिव्य बनाने का रहस्य पूज्य बापूजी के सत्संग-वचनामृत से:
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संत अपमान से उजड़ा गाँव, जान-माल की हुई भारी तबाही
(पूज्य बापूजी के सत्संग से)
2 mins
वे ही वास्तव में महान हो जाते हैं!
'मैं कुछ बनूँ...' या 'हम कुछ बनें' यह ईश्वर से अलग अपना अस्तित्व बनाने की, ईश्वर से अलग होकर अपनी कोई विशेषता प्रकट करने की जो कोशिश है यही व्यक्ति का व्यक्तिगत दोष है और समाज का सामाजिक दोष है | बहुत सूक्ष्म बात है।
2 mins
देशद्रोहियों, आतंकवादियों को भी मानवाधिकारों के नाम पर सुविधा किंतु एक संत को जीवन-रक्षा हेतु नहीं कोई राहत!
जिन्होंने पूरी जिंदगी स्वदेशी को आगे बढ़ाया है उनको फोर्स किया जा रहा है कि तुम विदेशी इलाज कराओ!
2 mins
गुरुदेव के स्वास्थ्य हेतु किये जप-अनुष्ठान का जादुई प्रभाव!
२०१२ में मुझे आँतों में सूजन हुई, जिसके लिए मैंने आयुर्वेदिक दवाइयाँ शुरू कीं। हालाँकि उनसे पूरा लाभ तो नहीं हो रहा था फिर भी मैंने सेवन चालू रखा।
1 min
मेडिकल ग्राउंड व मानवता के आधार पर आशारामजी बापू को बेल मिलनी ही चाहिए
...यहाँ तक कि अगर सुप्रीम कोर्ट में किसीकी अपील खारिज हो जाय तो भी उसको भी अपने अनुकूल ट्रीटमेंट का अधिकार है। आशाराम बापू की तो हाईकोर्ट में अपील भी पेंडिंग है। ऐसे में अगर उन्हें उनका अधिकार नहीं मिलता तो उनके साथ अन्याय होगा।
2 mins
रामराज्य लाना है तो पहले बापूजी को रिहा करो!
व्यासपीठ सच नहीं बोलेगी तो कौन सच बोलेगा? जिस राष्ट्र में कवि और वक्ता ये दो चुप हो जाते हैं न, उस राष्ट्र का पतन हो जाता है।
2 mins
हनुमानजी का स्वभाव अपने जीवन में ले आओ!
मंगलमय संदेश - श्री हनुमानजी के प्राकट्य दिवस पर विशेष
4 mins
श्रीरामजी, दशरथजी और कौसल्याजी का तात्त्विक अर्थ
मंगलमय संदेश - श्रीराम नवमी पर विशेष
3 mins
शाहों के शाह साँईं लीलाशाह!
साँईं श्री लीलाशाहजी महाराज के प्राकट्य दिवस पर विशेष
3 mins
बालक पुरुषोत्तम का भगवत्प्रेम
गंगा-तट पर स्थित देवपुरी नामक गाँव में पुरुषोत्तमदासजी महाराज नाम के एक बहुत उच्च कोटि के संत हो गये। उनका जन्म एक साधारण कुटुम्ब में हुआ था। ३-४ साल की उम्र में उनके पिता चल बसे और ६ साल की उम्र में माता भी चल बसीं। बड़ी बहन ने उनको पाला-पोसा। बहन भगवान की भक्त थी। वह सत्संग में जाती थी तब छोटे पुरुषोत्तम को भी साथ में ले जाती थी।
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भागकर कहाँ जाओगे?
एक राजा ने रात में सपना देखा कि एक काली छाया आयी है और कह रही है : \"हे राजन् ! कल शाम को सूरज ढलने से पहले ठीक जगह पर पहुँच जाना।’’
2 mins
बुद्धि शुद्ध हो तो घसियारिन का उपदेश भी लग जाता है
संत कबीरजी कहते हैं :
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महँगा सौदा
एक किसान जा रहा था अपने खेत की रखवाली करने के लिए। रास्ते में उसे एक गठरी मिली।
1 min
जीवन के ओज की रक्षा कैसे करें?
जो विकारों के प्रभाव में आकर आकर्षित हो जाता है उसका सेवा में मन नहीं लगेगा, वह सेवा से च्युत हो जायेगा, भ्रष्ट हो जायेगा; ज्ञान से, संयम से, तप से भी भ्रष्ट हो जायेगा। जब तक पूर्णता को नहीं पाया तब तक स्त्री पुरुष की तरफ देखकर प्रभावित होती है और पुरुष स्त्री की तरफ देख के प्रभावित होता है, उनके हृदय में क्षोभ पैदा होता है... और यह है प्रकृति का, कई जन्मों का संस्कार। मनुष्य-जन्म में पुरुषार्थ करके उसे हटाना है।
2 mins
द्वन्द्रों से मुक्ति और अद्वैत की प्राप्ति
मन का निग्रह कैसे किया जाय इस बारे में बताते हुए भगवान श्रीकृष्ण उद्धवजी से कहते हैं: \"मन ही सुख-दुःख का कारण है और संसार भी मनःकल्पित है। जिसे संसार का दुःख नष्ट करना हो उसे अवश्य ही मन पर काबू पाना चाहिए क्योंकि मन के सिवाय दुःख देनेवाला त्रिभुवन में दूसरा कोई नहीं। मन अत्यंत चंचल है, वह सहसा स्थिर नहीं रहता। इसलिए जिससे भेदभाव दूर हो सके ऐसा विचार करने का अवसर उसे दिन-रात देना चाहिए।
2 mins
आनंदस्वरूप के ज्ञान-माधुर्य को जगाने का उत्सव
होली पर्व : २४ व २५ मार्च
3 mins
आत्मशिव को कैसे पायें?
भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं: न मां दुष्कृतिनो मूढाः प्रपद्यन्ते नराधमाः ।...
2 mins
ब्रह्महत्या जैसे पापों व पिशाच योनि से मुक्तिदाता व्रत
जया एकादशी पर विशेष
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मुझे बहुत दुःख है कि बापूजी जैसे के उच्च कोटि के महापुरुष अब भी जेल में हैं
पद्मश्री विभूषित १२७ वर्षीय योगगुरु पधारे मोटेरा आश्रम, कहा:
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शीत ऋतु में विशेष सेवनीय स्वास्थ्यप्रद व बलवर्धक तिल
आयुर्वेद के अनुसार तिल स्निग्ध, मधुर, उष्ण, पचने में भारी व वायुशामक हैं तथा कफ व पित्त प्रकुपित करनेवाले हैं। ये बल, बुद्धि एवं जठराग्नि को बढ़ानेवाले, त्वचा एवं बालों के लिए हितकर तथा वर्ण को निखारनेवाले हैं। प्रमेह (मूत्र-संबंधी विकार) में ये एक उत्कृष्ट औषधि हैं।
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दूसरों का अमंगल चाहने पर होता अपना अमंगल
विद्यार्थी संस्कार - ‘देवताओं की प्रार्थना स्वीकार करके महर्षि दधीचि ने देह-त्याग किया। उनकी अस्थियों से बने वज्र से अजेयप्राय वृत्रासुर को इन्द्र ने मारा और स्वर्ग पर पुनः अधिकार प्राप्त किया।’...
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समाजसेवी पुण्यात्माओं के उद्गार
पूज्य बापूजी द्वारा प्रेरित मातृ-पितृ पूजन दिवस पर
2 mins
Rishi Prasad Hindi Magazine Description:
Publisher: Sant Shri Asharamji Ashram
Category: Religious & Spiritual
Language: Hindi
Frequency: Monthly
Started in 1990, Rishi Prasad has now become the largest circulated spiritual monthly publication in the world with more than 10 million readers. The magazine is a digest of all thought provoking latest discourses of His Holiness Asharam Bapu on various subjects directing simple solutions for a peaceful life. The magazine also features news on happenings at various ashrams in past month, inspirational texts from scriptures/legends , practical tips for healthy day-to-day living balancing materialism by idealism, Bapuji's answers to questions raised by seekers, disciples's experiences etc.
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