Samay Patrika Magazine - May 2022Add to Favorites

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In this issue

समय पत्रिका के इस अंक में पढ़िए सुनील गुप्ता और सुनेत्रा चौधरी की पुस्तक 'ब्लैक वॉरंट' के बारे में। यह पुस्तक तिहाड़ जेल के जेलर के जरिए हमें उसके भीतर ले जाती है। उन परतों को सामने रख देती है, जिनसे अधिकतर लोग अंजान हैं। जेल की दुनिया कैसी होती है? वहां जिंदगी कितनी शांत और उठापटक वाली है? कुख्यात अपराधी किस तरह का जीवन जीते हैं? साथ ही कई सवाल खड़े करती यह पुस्तक व्यवस्था की भी पोल खोल कर रख देती है। टीवी पत्रकार सुनेत्रा की यह पुस्तक इन दिनों चर्चा में है।

रश्मि भारद्वाज का पहला उपन्यास 'वो साल बयालीस था' जिसमें प्रेम ही प्रेम है, और यह प्रेम करना भी सिखा देता है। यह उपन्यास स्त्री की सोच, उसके व्यक्तित्व के अलग—अलग पहलुओं को सामने लाने की कोशिश करता है। प्रियदर्शी जी के शब्दों में—''जहाँ आज़ादी के संघर्ष के नेपथ्य में दो प्रेमियों की धड़कनें भी शामिल हैं। आज़ादी की तड़प, साम्प्रदायिक विभाजन, प्रेम के बदलते स्वरूप और युवा पीढ़ी के लिए उसके बदलते मायने।''

जयंती रंगनाथन ने 'शैडो' नामक उपन्यास लिखा है, जिसमें सम्मोहन के जरिये अतृप्त आत्माओं से जीवित लोगों के आपसी संबंधों की कहानियों को गढ़ा गया है। उपन्यास में यह भी दिखाया गया है कि जीवित मानव को उसके पिछले जन्म में लौटाकर तत्कालीन घटनाओं का अनुभव फिर से किस प्रकार कराया जा सकता है।

'क्लासरुम में चाणक्य' पुस्तक में आचार्य चाणक्य की ‘चाणक्य नीति’ में विद्यार्थियों के लिए कुछ बेहद उपयोगी बातें निहित हैं। इसे प्रभात प्रकाशन ने प्रकाशित किया है।

टीवी के चर्चित पत्रकार ब्रजेश राजपूत से समय पत्रिका ने खास बातचीत की जिसके मुख्य अंश आप इस अंक में पढ़ सकते हैं।

साथ में पढ़ें नई किताबों की चर्चा।

अंतर्मन की ओर - सांसारिक जीवन में ध्यान की आवश्यकता

खास किताब

अंतर्मन की ओर - सांसारिक जीवन में ध्यान की आवश्यकता

1 min

आवाज़ें काँपती रहीं - मानवीय सम्बन्धों का मार्मिक आख्यान रचती कहानियाँ

हिन्दी कहानी के लिए यह परम्परा और परिवर्तन के बीच का संक्रमण-काल है।

आवाज़ें काँपती रहीं - मानवीय सम्बन्धों का मार्मिक आख्यान रचती कहानियाँ

1 min

यूरोप का पहला सफ़रनामा

18 वीं शताब्दी मुग़ल साम्राज्य के पतन के साथ-साथ यूरोपीय शक्तियों विशेष रूप से अंग्रेज़ों के उत्थान की शताब्दी है।

यूरोप का पहला सफ़रनामा

1 min

ब्लैक वॉरंट तिहाड़ जेल के जेलर की इनसाइड स्टोरी

यह पुस्तक दरशाती है कि जेलरों को भी अपनी ही प्रणाली के हाथों कैद होना पड़ता है। अपर्याप्त वेतन और अधिक काम के बोझ से दबे वहाँ के कर्मचारी इतने अप्रशिक्षित एवं संसाधन-विहीन हैं कि वे कैदियों के सुधार को लागू कर पाने में पूर्णतया अक्षम हैं। उनमें से अधिकांश उत्पीड़ित लोग आगे चलकर स्वयं उत्पीड़क बन जाते हैं।

ब्लैक वॉरंट तिहाड़ जेल के जेलर की इनसाइड स्टोरी

1 min

'सोचा नहीं था कि पाँच किताबें कभी लिख पाऊँगा'

आमतौर पर ये कम ही देखा जाता है कि टेलीविजन के पत्रकार लगातार लिखते हैं फिर चाहे वो कॉलम हो या किताबें। भोपाल में रहने वाले और एबीपी न्यूज में लंबे समय से स्टेट ब्यूरो संभाल रहे ब्रजेश राजपूत इस मामले में अलग हैं। पिछले सात सालों में वे पाँच किताबें लिख चुके हैं। इनमें दो किताबें मध्यप्रदेश के पिछले विधानसभा चुनावों पर तो, दो किताबें टेलीविजन के पर्दे के पीछे की छिपी हुई कहानियों पर हैं। दो साल पहले एमपी में हुए सत्ता परिवर्तन पर भी उनकी रोचक किताब 'वो सत्रह दिन' प्रकाशित हुई थी जिसे बहुत दिलचस्पी से पढ़ा गया। ब्रजेश राजपूत अपनी नयी किताब 'ऑफ़ द कैमरा लेकर आये हैं जिसमें टीवी रिपोर्टिंग के किस्से हैं। ये वो किस्से हैं जिनको उन्होंने टीवी रिपोर्टिंग के दौरान देखा और बाद में विस्तार से इन पर लिखा। ये किस्से कोरोना काल की करुण कथाएँ हैं तो सत्ता परिवर्तन की उठापटक और बदलावों में कितना और क्या बदला ये बताते हैं। 'ऑफ द कैमरा' किताब के इन पैंसठ किस्सों को पढ़कर आपको घटनास्थल पर खड़े होने का अहसास तो होगा ही, किस्सों में समाये दर्द को भी पाठक महसूस कर पायेंगे। समय पत्रिका ने लेखक ब्रजेश राजपूत से बात की:

'सोचा नहीं था कि पाँच किताबें कभी लिख पाऊँगा'

1 min

गरिमा और करुणा का संसार

इस संग्रह की कहानियों में ऐसी स्मृतियाँ और अनभिव विन्यस्त हैं जिनमें खिले हुए रंगीन फूलों की खुशबू और उन्माद है तो खुले घाव से रिसते दर्द की कसक भी है।

गरिमा और करुणा का संसार

1 min

क्लासरूम में चाणक्य - विद्यार्थियों के लिए चाणक्य नीति

"काम, क्रोध, लोभ, स्वाद, शृंगार (रति), कौतुक (मनोरंजन), अति निद्रा एवं अति सेवा- विद्या की अभिलाषा रखनेवाले को इन आठ बातों का त्याग कर देना चाहिए।” - चाणक्य

क्लासरूम में चाणक्य - विद्यार्थियों के लिए चाणक्य नीति

1 min

शैडो - भटकती आत्माओं का रहस्य

सम्मोहन क्रिया, तंत्र विद्या और मृत आत्माओं के बारे में काल्पनिक साहित्य में प्राचीन काल से बहुत कुछ लिखा गया है।

शैडो - भटकती आत्माओं का रहस्य

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लक्खा सिंह - थोड़ा है थोड़े की ज़रूरत है

एक कोलियरी(कोयला खान) में फिटर के पद पर कार्यरत सरदार लक्खा सिंह के हवाले से कोयलांचल में सीसीएल, बीसीसीएल, एनसीएल, एसईसीएल या ईस्टर्न कोल्फील्ड्स जैसे बैनर्स के तले जीवन बसर कर रहे साधारण लोगों की ज़िंदगी का लेखक ने बड़ा ही बेबाक और रोचक वर्णन किया है।

लक्खा सिंह - थोड़ा है थोड़े की ज़रूरत है

1 min

रुको मत, आगे बढ़ो

स्वामी विवेकानंद व्यक्ति को जाति, धर्म के नजरिए से न देखकर उन्हें समान से देखते थे। देश की भूखी और अज्ञानी जनता में आत्मविश्वास उत्पन्न करने के लिए वे कहते थे कि उठो, जागो और तब तक मत रुको, जब तक तुम अपने लक्ष्य को न पा लो।

रुको मत, आगे बढ़ो

1 min

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Samay Patrika Magazine Description:

PublisherSamay Patrika

CategoryFiction

LanguageHindi

FrequencyMonthly

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