Panchjanya Magazine - August 14, 2022
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In this issue
#ताइवान पर तिलमिलाहट
ड्रैगन लाल
ताइवान पर पंजे गड़ाने को बेताब ड्रैगन ने नैंसी पैलोसी के दौरे के बहाने दिया
विस्तारवादी धूर्तता का परिचय. क्या चीन की गीदड़-भभकी से सहमेगा ताइवान या दबेगी दुनिया?
ताइवान पर तिलमिलाहट ड्रैगन लाल
अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की स्पीकर नैंसी पैलोसी की ताइवान यात्रा चीन के सतत विस्तारवाद को दी गई एक बड़ी चुनौती है। यात्रा से यह संदेश गया कि चीनी धमकियां गीदड़ भभकी से ज्यादा महत्व नहीं रखतीं। दूसरे चक्र में चीन उसकी भरपाई करने की कोशिश कर रहा है। तिलमिलाये चीन ने ताइवान जल क्षेत्र में युद्धाभ्यास शुरू कर दिया है। साइबर युद्ध और बाकी हथकंडे भी लागू
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सीमा पर शरारत
चीन लगातार अपने पड़ोसी देशों की जमीन हड़प रहा है। नेपाल में गोरखा जिले के रुई गांव के करीब सैन्य ठिकाना और 9 ऊंची इमारतें बनाने के बाद वह डोकलाम के पास भूटान की धरती पर गांव बसाने में जुटा
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स्व-गौरव का भान जगाएगा भारत का स्वाभिमान
यह अद्भुत संयोग ही है कि आज जब हमारा देश स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव मनाने जा रहा है तब एक ऐसा कालखंड आया है, जब एक राष्ट्र के नाते भारत अपने 'स्व' के आधार पर अपनी एक नई पहचान बनाने के लिए प्रयासरत है
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सूफियों की शांति की पहल
ऑल इंडिया सज्जादनशीं सूफी काउंसिल ने दिल्ली में एक अंतर आस्था संवाद का आयोजन किया जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल शामिल हुए। इस संवाद में पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने पर सहमति बनी। डोवाल ने कहा कि सूफी एवं उदारवादी मुसलमानों को कट्टरपंथ के विरुद्ध अपनी आवाज बुलंद करनी चाहिए
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फरमानी की गायकी पर फतवा
उलेमाओं के बात-बात पर फतवे जारी करने से मुसलमानों को कितना भला होता है ? शरीयत की दुहाई देने वाला मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड अदालत में 'फतवों को 'सलाह मात्र' बताता है
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जेल गए संजय राउत
महाराष्ट्र में बढ़-चढ़कर बयान देने वाले शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत पत्रा चाल जमीन घोटाले में ईडी की हिरासत में हैं। जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ती जा रही है, नए-नए मामले खुलते जा रहे हैं। ईडी ने अब राउत की पत्नी वर्षा को भी समन जारी किया है
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खतरे में झामुमो-कांग्रेस सरकार
झारखंड कांग्रेस के 3 विधायकों की गिरफ्तारी से कांग्रेस की भीतरी खींचतान सतह पर आ गई। इससे झामुमो-कांग्रेस गठबंधन सरकार पर खतरा मंडरा रहा है। हालांकि भाजपा के विपक्ष में होने से सत्तारूढ़ दल उसपर सरकार को अस्थिर करने का आरोप लगा रहे हैं। परंतु कांग्रेस नेताओं के आपसी आरोप-प्रत्यारोप कुछ और संकेत दे रहे
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शरियाई शरारत के आगे झुके कम्युनिस्ट
वेंकटरमण को अलप्पुझा का जिलाधिकारी बनाया गया तो हजारों मुस्लिम सड़क पर उतर आए। तुष्टीकरणवादी कांग्रेसी नेता भी सुर में सुर मिलाने लगे। ऐसे में राज्य की मुस्लिम परस्त कम्युनिस्ट सरकार ने टेक दिए घुटने
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सनातन संस्कृति में छिपे प्रकृति संरक्षण के सूत्र
जलवायु परिवर्तन मानव सभ्यता एवं जैविकी की निरंतरता के लिए खतरा है। इस खतरे से निबटने के सूत्र सनातनी संस्कृति में निहित हैं। हमारे पूर्वजों ने प्रकृति को उसकी समग्रता में समझते हुए उसको पूजनीय समझा। 'शांति मंत्र' संपूर्ण सृष्टि के अंतर्सर्बंध को रेखांकित करते हुए, सभी के मध्य समन्वय की कामना करता है, जिसका आशय है कि जल, वृक्ष, प्राकृतिक ऊर्जा और समस्त जीव सद्भाव और शांति के साथ रहें
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कन्वर्जन से जुड़ी ताकतों का षड्यंत्र
संयुक्त राष्ट्र ने 9 अगस्त को मूल निवासी दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी। यह पश्चिम का इतिहास है कि वहां विभिन्न मूल निवासियों के साथ औपनिवेशिक शक्तियों ने निर्मम व्यवहार किया। भारत में कुछ शक्तियां कन्वर्जन और समाज में विभाजन के उद्देश्य से इस दिवस को मनाने के लिए कुछ समाजों को उकसाती हैं, परंतु भारत के सभी नागरिक यहां के मूल नागरिक हैं, इसलिए भारत में इस दिवस का कोई अर्थ नहीं है
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Panchjanya Magazine Description:
Publisher: Bharat Prakashan (Delhi) Limited
Category: Politics
Language: Hindi
Frequency: Weekly
स्वतंत्रता प्राप्ति के तुरन्त बाद 14 जनवरी, 1948 को मकर संक्राति के पावन पर्व पर अपने आवरण पृष्ठ पर भगवान श्रीकृष्ण के मुख से शंखनाद के साथ श्री अटल बिहारी वाजपेयी के संपादकत्व में 'पाञ्चजन्य' साप्ताहिक का अवतरण स्वाधीन भारत में स्वाधीनता आन्दोलन के प्रेरक आदशोंर् एवं राष्ट्रीय लक्ष्यों का स्मरण दिलाते रहने के संकल्प का उद्घोष ही था।
अटल जी के बाद 'पाञ्चजन्य' के सम्पादक पद को सुशोभित करने वालों की सूची में सर्वश्री राजीवलोचन अग्निहोत्री, ज्ञानेन्द्र सक्सेना, गिरीश चन्द्र मिश्र, महेन्द्र कुलश्रेष्ठ, तिलक सिंह परमार, यादव राव देशमुख, वचनेश त्रिपाठी, केवल रतन मलकानी, देवेन्द्र स्वरूप, दीनानाथ मिश्र, भानुप्रताप शुक्ल, रामशंकर अग्निहोत्री, प्रबाल मैत्र, तरुण विजय, बल्देव भाई शर्मा और हितेश शंकर जैसे नाम आते हैं। नाम बदले होंगे पर 'पाञ्चजन्य' की निष्ठा और स्वर में कभी कोई परिवर्तन नहीं आया, वे अविचल रहे।
किन्तु एक ऐसा नाम है जो इस सूची में कहीं नहीं है, परन्तु वह इस सूची के प्रत्येक नाम का प्रेरणा-स्रोत कहा जा सकता है जिसने सम्पादक के रूप में अपना नाम कभी नहीं छपवाया, किन्तु जिसकी कल्पना में से 'पाञ्चजन्य' का जन्म हुआ, वह नाम है पं. दीनदयाल उपाध्याय।
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