दृष्टि रावत 34 साल की है. वह फरीदाबाद में रहती है. देखने में ब्यूटीफुल और कौन्फिडेंट दृष्टि एक वौइस आर्टिस्ट है. 4 साल पहले उस ने विक्रम संवत के साथ लव मैरिज की थी. विक्रम एक बिजनेसमैन है. उस का क्रौकरी का बिजनैस है. बिजनैसमैन होने के नाते विक्रम बहुत बिजी रहता है, लेकिन इस के बावजूद वह घर और बाहर दोनों के काम में दृष्टि की हैल्प करता है.
कभीकभी तो वह खुद अकेले ही घर का सारा काम कर लेता है तो कभीकभी मार्केट जा कर राशन ले आता है. इतना ही नहीं विक्रम कई बार अकेले ही लंच और डिनर भी बना लेता है क्योंकि वह समझता है कि असल माने में पार्टनर की यही परिभाषा है कि वह अपने पार्टनर की हर समय सपोर्ट करे.
दृष्टि और विक्रम दोनों हाउस होल्ड प्रोडक्ट भी साथ जा कर लाते हैं. चाहे घर के कामों से जुड़े टूल्स हों या फिर होम गैजेट हों दृष्टि और विक्रम उन्हें खरीदने साथ ही जाते हैं. इस का एक फायदा यह रहता है कि ये टूल्स और गैजेट कैसे काम करते हैं यह वे दोनों एकसाथ जान लेते हैं. ऐसे में जब दृष्टि घर में नहीं होती या अपने औफिस के काम में बिजी होती है तो विक्रम इन टूल्स और गैजेट की हैल्प से घर को अच्छी तरह मैनेज कर लेता है.
एक लड़की क्या चाहती है
एक अच्छे हसबैंड की सारी खूबी विक्रम के अंदर है. किस तरह पार्टनर को खुश रखा जा सकता है, किस तरह अपने काम और मैरिड लाइफ को बैलेंस किया जाता है. इन सब बातों से विक्रम पूरी तरह अवगत है. तभी तो उस की मैरिड लाइफ में वे दिक्कतें नहीं हैं जो उन कपल्स के बीच होती हैं जहां घर के कामों को वाइफ या हसबैंड में से सिर्फ कोई एक संभाल रहा होता है.
जब विक्रम दृष्टि की हैल्प करता है तो वह बहुत खुश हो जाती है. यह सच भी है कि एक लड़की यही चाहती है कि उस का पार्टनर उस के सभी कामों में मदद करे. वह सही मानों में उस का हमसफर हो न सिर्फ कहने भर को.
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आजादी सिर्फ आदमियों के लिए नहीं
पैट डॉग्स आदमी का साथी सदियों से रहा है पर जब से आदमी ने गांवों को छोड़ कर घने शहरों की बस्तियों और फिर बहुमंजिले मकानों में रहना शुरू कर दिया है, मैन ऐनिमल कंपीटिशन चालू हो गया है.
यहां मायावी मकड़जाल है
ई कॉमर्स के हजार गुण हों पर ई असलियत में यह एक तरह की साजिश है जिस में सस्ती लेबर का इस्तेमाल कर के खातेपीते लोगों को घर से निकले बिना सब सुविधाएं दिलाना है. ई कॉमर्स का मुख्य धंधा एक तरफ वेयर हाउसिंग, स्टैकिंग और डिलिवरी पर निर्भर है तो दूसरी ओर ग्राहकों को मनमाने प्रोडक्ट घर बैठे पाने के लालच में खरीदने के लिए एनकरेज करना है.
औरतों को गुलाम बनाए रखने की साजिश
पिछले छले आम चुनावों में तरहतरह से मतदाताओं को प्रलोभन देने और हर वोट की कीमत है, समझ कर सभी पार्टियों ने परस्पर विरोधी बातें भी कहीं पर फिर भी जड़ों में अंदर तक जमा भेदभाव पिघला नहीं. देश का बड़ा वर्ग मुसलमानों, दलितों को ही अलगअलग रखता रहा. इन की ही नहीं सवर्णों व ओबीसी यानी पिछड़ों की औरतों को भी निरर्थक समझता रहा.
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गृहशोभा एम्पावर मौम्स इवैंट
'मदर्स डे' के खास मौके पर महिलाओं की उपलब्धियों का जश्न मनाते हुए 'दिल्ली प्रैस की मैगजीन गृहशोभा ने 'एम्पावर मौम्स' इवैंट का आयोजन किया. इस के सह-संचालक एपिस थे. एसोसिएट स्पौंसर जॉनसंस एंड जॉनसंस, स्किन केयर पार्टनर ग्रीनलीफ, गिफ्टिंग पार्टनर डेलबर्टो, होमियोपैथी पार्टनर एसबीएल और स्पैशल पार्टनर श्री एंड सैम थे.
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