इंटरनैट आजकल हमारी आदत व जरूरत दोनों बन चुका है. औनलाइन शौपिंग, औनलाइन फूड, औनलाइन फ्रैंडशिप, सोशल मीडिया आदि सब बहुत तेजी से आम लोगों की आदतों में शामिल हो चुके हैं. यहां तक कि अब ज्यादातर लोग बैंकिंग भी औनलाइन ही करना पसंद करते हैं. लोगों को अपनी दिनचर्या में इतना ज्यादा व्यस्त हो जाना इंटरनैट के अधिक इस्तेमाल का एक मूल कारण है.
अपनी जीविका कमाने के लिए भागदौड़ करने वाला एक परिवार अपने बच्चों को भी औनलाइन ट्यूशन पर ही जोड़ देता है. ऐसे में जब आप पूरी तरह से इंटरनैट पर निर्भर रहते हैं तो आप बहुत सी ऐसी गलतियां भी कर जाते हैं जिन से आप का फोन, आप का बैंक अकाउंट, आप का कंप्यूटर, आप का डाटा सुरक्षित नहीं रहता है. आइए समझें कि किस तरह से कुछ छिपे चेहरे हमारे कंप्यूटर के जरिए हमारी निजी जिंदगी में झांक रहे हैं.
लगातार साइबर क्राइम की शिकायतें पिछले कुछ सालों में बढ़ती जा रही हैं. साइबर से जुड़े क्राइम में कई देशों की सरकारों तक पर भी आरोप लगे हैं. भारत की मौजूदा मोदी सरकार पर भी आरोप लगे कि उस ने अपने विरोधियों के फोन पर पेगासस नाम का सौफ्टवेयर प्लांट किया, जिस तकनीक को उन्होंने इजराइल से खरीदा था, जिस से वह विरोधियों की हर गतिविधि पर नजर रख सके. आम तो आम खास लोग भी आज टैक्नोलौजी की दुनिया में खुद की गतिविधियों को हैक होने से नहीं बचा पा रहे हैं.
आज साइबर अपराध के मामले बढ़ते जा रहे हैं. अपराधी आप के साथ ठगी कर के निकल भी जाता है और आप को उस की भनक भी नहीं लगती. आइए पहले समझते हैं कि किसकिस तरह से ये ठग बिना अपना चेहरा दिखाए आम जनता को ठगते हैं.
हैकिंग : 'हैलो मैम, आप हमारी 10 लकी कस्टमर में से हैं. हमारी कंपनी की तरफ से आप को एक सरप्राइज गिफ्ट मिलेगा. आप को बस, हमारे द्वारा भेजे हुए लिंक पर क्लिक कर के एक फौर्म फिल करना है और उस के बाद आप के फोन पर एक ओटीपी आएगा. वह हम से शेयर करना है. आप का सरप्राइस गिफ्ट आप के घर पर डिलीवर हो जाएगा.'
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पुराणों में भी है बैड न्यूज
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चुनाव परिणाम के बाद इंडिया ब्लौक
16 मई, 2024 को चुनावप्रचार के दौरान नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में दहाड़ने की कोशिश करते हुए कहा था कि 4 जून को इंडी गठबंधन टूट कर बिखर जाएगा और विपक्ष बलि का बकरा खोजेगा, चुनाव के बाद ये लोग गरमी की छुट्टियों पर विदेश चले जाएंगे, यहां सिर्फ हम और देशवासी रह जाएंगे. लेकिन 4 जून के बाद कुछ और हो रहा है.
वक्फ की जमीन पर सरकार की नजर
भाजपा की आंखें वक्फ की संपत्तियों पर गड़ी हैं. इस मामले को उछाल कर जहां वह एक तरफ हिंदू वोटरों को यह दिखाने की कोशिश करेगी कि देखो मुसलमानों के पास देश की कितनी जमीन है, वहीं वक्फ बोर्ड में घुसपैठ कर के वह उसे अपने नियंत्रण में लेने की फिराक में है.
1947 के बाद कानूनों से रेंगतीं सामाजिक बदलाव की हवाएं
15 अगस्त, 1947 को भारत को जो आजादी मिली वह सिर्फ गोरे अंगरेजों के शासन से थी. असल में आम लोगों, खासतौर पर दलितों व ऊंची जातियों की औरतों, को जो स्वतंत्रता मिली जिस के कारण सैकड़ों समाज सुधार हुए वह उस संविधान और उस के अंतर्गत 70 वर्षों में बने कानूनों से मिली जिन का जिक्र कम होता है जबकि वे हमारे जीवन का अभिन्न अंग हैं. नरेंद्र मोदी की भारतीय जनता पार्टी का सपना इस आजादी का नहीं, बल्कि देश को पौराणिक हिंदू राष्ट्र बनाने का रहा है. लेखों की श्रृंखला में स्पष्ट किया जाएगा कि कैसे इन कानूनों ने कट्टर समाज पर प्रहार किया हालांकि ये समाज सुधार अब धीमे हो गए हैं या कहिए कि रुक से गए हैं.