फिल्म 'दृश्यम' के 2 पार्ट आ चुके हैं. दोनों पार्ट्स में हीरो अजय देवगन है और वह जानता है कि अनजाने में ही सही, उस की गोद ली गई बेटी ने एक बड़ी पुलिस अफसर के बदचलन बेटे का खून कर दिया है. फिर वह एक प्लान बनाता है और गोवा पुलिस को चकमा देते हुए अपने दम पर अपने परिवार को उस कत्ल के झमेले से बाहर निकाल देता है.
इन दोनों फिल्मों में ऐक्शन हीरो अजय देवगन ने किसी को एक भी मुक्का नहीं मारा है और न उस को एक बड़े बाप की हैंडसम औलाद दिखाया गया है. वह घर से अपने काम पर जाता है, साधारण कपड़ों में रहता है, खूब मेहनत करता है। और एक लोकल कैंटीन में ही आम लोगों से मिलजुल कर जिंदगी बिताता है.
सिनेमाघर में गए लोगों को फिर अजय देवगन के इस नीरस किरदार में ऐसा क्या पसंद आया कि फिल्म 'दृश्यम' के 2 पार्ट बन गए और दोनों ने ही जनता को इतना ज्यादा छुआ कि सुपरहिट भी हो गए?
इस की सब से बड़ी वजह अजय देवगन का आम आदमी होना रही. लोगों ने उस के ग्रे शेड के किरदार को उस पुलिस से अच्छा समझा जो कहने को तो 'सदैव आप के साथ' होने का दावा करती है पर जब कभी कोई विजय सालगांवकर ( फिल्म 'दृश्यम' में अजय देवगन के किरदार का नाम) और उस का परिवार उस के हत्थे चढ़ता है तो कानून को साइड कर के कैसे उन्हें आतंकित करना है, यह भी दिखा देती है.
इस फिल्म में एक आम आदमी की अपने परिवार के लिए चिंता, उस की सुरक्षा के साथसाथ पुलिस के उस गंदे चेहरे को भी दिखाया गया, जहां छोटे लैवल पर ही सही. भ्रष्टाचार घर कर चुका है. गायतोंडे नाम का पुलिस वाला कैसे छोटे गरीब लोगों से भी पैसा वसूलने से बाज नहीं आता है, यह भी फिल्म में बड़ी सफाई से दिखाया गया है.
गायतोंडे जब भी कैंटीन में जाता है, वहां एक नैगेटिविटी का भाव आ जाता है. सब गायतोंडे से बात करने से कतराते हैं, क्योंकि वह क्रूर ही नहीं, बल्कि भ्रष्टाचारी भी है. उसे जबरदस्ती मुफ्त की चीज खाने से परहेज नहीं है. यहां तक कि पुलिस कमिश्नर बने अक्षय खन्ना को भी गायतोंडे की हरकतों के बारे में पता होता है.
This story is from the February Second 2023 edition of Sarita.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 8,500+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Sign In
This story is from the February Second 2023 edition of Sarita.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 8,500+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Sign In
50 प्लस की एंड यंग हौट ब्यूटीज
बढ़ती उम्र के साथ व्यक्ति की सुंदरता कम होने लगती है. उम्र के साथ चेहरे पर लकीरें नजर आना और शरीर में थोड़ी चरबी का बढ़ना आम बात है. लेकिन फिल्म जगत में ऐसी कई अदाकाराएं हैं जिन्होंने अपनी खूबसूरती से उम्र को मात दी है. बढ़ती उम्र के साथ ये ऐक्ट्रैसेस और ज्यादा खूबसूरत होती जा रही हैं.
खुशी हमारी मुट्ठी में
जिंदगी में हमेशा खुश रहने के साथ स्वस्थ, सक्रिय व संतुष्ट जीवन बिताना चाहते हैं, तो यह जानकारी आप के लिए ही है.
मैट्रो और मोबाइल
मोबाइल का गलत उपयोग करना कितना गलत परिणाम देता है, यह मुझे तब पता चला जब मैं एक दिन मैट्रो में सफर कर रहा था. विश्वास न हो खुद ही जान लीजिए ताकि आप को भी एहसास हो ही जाए.
करीबी रिश्ते में खटास लाए बीमारियां
रिलेशनशिप में खटास न सिर्फ मैंटल हैल्थ को प्रभावित करती है बल्कि फिजिकल हैल्थ पर भी इस का बुरा असर पड़ता है क्योंकि इस से होने वाले स्ट्रैस से कई तरह की बीमारियां पनपने लगती हैं.
एबौर्शन का फैसला औरत का ही हो
भारत के अनाथाश्रमों में लाखों की संख्या में ऐसे नवजात शिशु पल रहे हैं जिन को पैदा कर के मरने के लिए सड़कों, कूड़े के ढेर, नालियों व गटर में फेंक दिया गया. क्यों? क्योंकि समय पर गर्भवती अपना गर्भ गिराने में नाकाम रही और मजबूरन उसे अनचाहे बच्चे को जन्म देना पड़ा.
क्यों घर से भाग कर पछताती नहीं लड़कियां
कम उम्र की लड़कियों के घर से भागने की वजहें, थोड़ी ही सही, बदल रही हैं. माना यह जाता है कि लड़कियां आमतौर पर फिल्मों में हीरोइन बनने के लिए भागती हैं और नासमझी के चलते कोई भी उन्हें इस बाबत बहका लेता है.
दहेज से जुड़ी मौतें जिम्मेदार कौन
दहेज हत्या मामले में अकसर लड़के और उस के घर वालों को हिरासत में ले लिया जाता है. मगर क्या सही में दहेज से जुड़े मामलों में हमेशा सारा दोष लड़के या उस के घर वालों का ही होता है? कई बार इस के लिए दोषी खुद लड़की, उस के घर वाले और हमारा समाज भी होता है.
एकादशी महात्म्य - एकादशियों की ऊलजलूल कथाएं बनाम लूट का साधन
एकादशी के कर्मकांड अधिकतर संपन्न व खातापीता तबका करवाते दिखाई देता है. वे बड़े चाव से इस की ऊलजलूल कथाएं सुनते हैं, लेकिन शायद ही वे इस पर कोई सार्थक विमर्श कर पाते हैं या सवाल खड़े कर पाते हैं. अगर वे चिंतनशील होते तो जान जाते कि कैसे एकादशी कर्मकांड पंडों के लूट का साधन के सिवा और कुछ नहीं.
गुड गवर्नेस को मुंह चिढ़ाता पेपर लीक
'मैं अब और जीना नहीं चाहता, मेरा मन भर गया है. मेरी मौत के बाद किसी को परेशान न किया जाए. मैं ने अपनी बीएससी की डिग्री जला दी है. ऐसी पढ़ाई का क्या फायदा जो एक नौकरी न दिला सके.' पेपर लीक से परेशान व निराश युवा बृजेश पाल ने अपनी जान दे दी. यह उत्तर प्रदेश के कन्नौज के रहने वाले बृजेश पाल की ही व्यथा नहीं है, देश के कई मजबूर व बेरोजगार नौजवानों की भी यही कहानी है.
प्रज्वल रेवन्ना - राजनेता और पोर्न फिल्मों का धंधेबाज
पोर्न फिल्में अब हर किसी की जरूरत बन चुकी हैं. लोग इन्हें उत्तेजना के लिए भी देखते हैं और कई इन्हीं के जरिए जिज्ञासाएं शांत करते हैं. यह देह व्यापार की तरह का अपराध है जिसे कानूनन तो क्या, किसी भी तरीके से बंद नहीं किया जा सकता. वजह, इस का नैसर्गिक होना है. टैक्नोलौजी ने इस की पहुंच सस्ती और आसान भी कर दी है. पोर्न इंडस्ट्री की अपनी अलग दुनिया है लेकिन इस में हलचल तब मचती है जब प्रज्वल रेवन्ना जैसी कोई हस्ती इस में इन्वाल्व पाई जाती हैं.