सुक्खू की साख का सवाल
Outlook Hindi|May 13, 2024
भाजपा असेंबली में अपनी ताकत को बढ़ाने की फिराक में है ताकि कांग्रेस की सरकार अल्पमत में आ जाए और गिर जाए
अश्वनी शर्मा
सुक्खू की साख का सवाल

हिमाचल प्रदेश में मतदान हि अभी महीने भर है लेकिन सियासी पारा चढ़ना चालू हो चुका है। आम चुनाव के आखिरी चरण में 1 जून को होने वाले मतदान से पहले सूबे की फिजा कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच सियासी दबदबा कायम रखने की जबरदस्त जंग का पता दे रही है। हिमाचल में लोकसभा की चार सीटें हैं- शिमला, हमीरपुर, कांगड़ा और मंडी। इस बार का आम चुनाव पहले के तमाम चुनावों से न सिर्फ अलग बल्कि राजनीतिक रूप से अहम भी रहने वाला है। मसलन, मंडी की सीट पर दो युवा चेहरों के अचानक उतर जाने से सरगर्मी बढ़ी हुई है। यहां से भाजपा के टिकट पर अभिनेत्री कंगना रनौत अपना सियासी सफर शुरू करने जा रही हैं तो शिमला (ग्रामीण) से दो बार के विधायक और पीडब्ल्यूडी मंत्री विक्रमादित्य सिंह उनके खिलाफ कांग्रेस से खड़े हैं। दोनों स्थानीय प्रत्याशी हैं। चार राष्ट्रीय पुरस्कार जीतने वाली कंगना पहाड़ की महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं तो विक्रमादित्य राजपरिवार के उत्तराधिकारी हैं।

दोनों के बीच कुछ समानताएं हैं तो फर्क भी कई हैं। जैसे, कंगना बहुत मुखर और आक्रामक हैं। साथ ही वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अनन्य भक्त हैं, जो उनके चुनाव प्रचार का एक बड़ा सहारा है लेकिन दिक्कत यह है कि वे राजनीति में नई हैं और छह जिलों तक फैली अपने विशाल लोकसभा क्षेत्र के बारे में उनका ज्ञान भी कम है। मंडी लोकसभा चीन से लगते दो जनजातीय जिलों किन्नौर और लाहौलस्पीति तक फैली हुई है। 

कंगना कट्टर हिंदुत्ववादी हैं तो विक्रमादित्य भी इस मामले में कुछ कम नहीं, जिन्होंने अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बहिष्कार संबंधी पार्टी का फरमान ठुकरा दिया था। छह बार सूबे के मुख्यमंत्री रह चुके उनके पिता वीरभद्र सिंह भी विश्व हिंदू परिषद सहित हिंदूवादियों के बहुत करीबी थे। उन्होंने ही सबसे पहले हिमाचल में धर्मांतरण विरोधी कानून लाकर हिंदूवादियों की प्रशंसा बटोरी थी। विक्रमादित्य ने अपने एक बयान में इसका हवाला भी दिया है।

This story is from the May 13, 2024 edition of Outlook Hindi.

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