![बॉन्डनामा](https://cdn.magzter.com/Outlook Hindi/1709706438/articles/XnA7w3SnY1709721110427/1709721613875.jpg)
यह तो अनेक मामलों में देखा गया है कि जिस उद्देश्य से योजना लाई जाए, कार्यान्वयन में नतीजे कुछ और दे जाए या मुकम्मल तौर पर खरी न उतरे। लेकिन ऐसा कम ही देखा गया है कि जिस घोषित उद्देश्य से कोई योजना लाई जाए, वही सवालिया घेरे में आ जाए। 2017 के बजट में तब के वित्त मंत्री दिवंगत अरुण जेटली ने चुनावी बॉन्ड की घोषणा की थी तो इसे बड़े चुनाव सुधार की तरह पेश किया था। उन्होंने इसे न सिर्फ पारदर्शिता लाने, बल्कि राजनीति में काले धन का प्रवाह रोकने का भी साधन बताया था। लेकिन उन्हीं दलीलों को सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी को ऐतिहासिक फैसले में नामंजूर कर दिया और केंद्र की चुनावी बॉन्ड योजना को “असंवैधानिक” करार दिया। पांच न्यायाधीशों की पीठ का नेतृत्व कर रहे प्रधान न्यायाधीश डी.वाइ. चंद्रचूड़ ने कहा कि गोपनीयता के आवरण में घिरा चुनावी बॉन्ड बोली और अभिव्यक्ति की आजादी तथा सूचना के अधिकार का उल्लंघन है।
सरकार का यह तर्क भी आनुपातिक सिद्धांत के आधार पर स्वीकार नहीं किया गया कि चुनावों में काले धन के प्रवाह को घटाने के लिए इस योजना की आवश्यकता थी। अदालत ने कहा कि इसमें चंदा देने वालों की निजता के अधिकार या गोपनीयता को तरजीह दी गई लेकिन लोगों के अपने उम्मीदवार के बारे में जानकारी के अधिकार को कमतर माना लिया गया। प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ और न्यायाधीश संजीव खन्ना, बीआर गवई, जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की शीर्ष अदालत की पीठ ने मामले में दो अलग-अलग लेकिन सर्वसम्मत फैसले सुनाए।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, “मतदान के विकल्प का स्वतंत्र होकर इस्तेमाल करने के लिए राजनैतिक दलों की फंडिंग के बारे में जानकारी आवश्यक है।” अदालत ने भारतीय स्टेट बैंक को निर्देश दिया कि वह चुनाव आयोग को छह साल पुरानी योजना में चंदा देने वालों के नाम और 12 अप्रैल, 2019 से अब तक खरीदे गए चुनावी बॉन्ड के विवरण मुहैया कराए। अदालत ने चुनाव आयोग को 13 मार्च तक इन विवरणों को अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करने का आदेश दिया है। फिर अब तक न भुनाए गए बॉन्ड राजनैतिक दलों को वापस करना होगा और बैंक बॉन्ड खरीदने वाले के खाते में रकम वापस कर देगा।
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![जौनपुर](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/266/1714133/DxuS84i8k1716888829907/1716888928554.jpg)
जौनपुर
इतिहास की गोद में ऊंघता-सा एक शहर है, उत्तर प्रदेश का जौनपुर। पुराने शहरों के साथ अक्सर ऐसा होता है कि वे किसी मील के पत्थर से यू टर्न लें और सभ्यता की सामान्य दिशा से उल्टी दिशा में चल पड़ें।
![समय की गति की परख](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/266/1714133/y1pqfQ8_j1716888727349/1716888828148.jpg)
समय की गति की परख
इस संग्रह का महत्वपूर्ण पक्ष यह है कि कवि यहां अस्तित्ववाद के प्रश्नों से रूबरू होते हैं। निजी और वृहत्तर तौर पर जीवन को इस विमर्श के घेरे में लाकर कवि अस्तित्व से संबंधित प्रश्नों का उत्तर पाने का प्रयास करता है।
![प्रकृति का सान्निध्य](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/266/1714133/hgwPWXaHw1716888596240/1716888728908.jpg)
प्रकृति का सान्निध्य
वरिष्ठ कवयित्री सविता सिंह का नया संग्रह ‘वासना एक नदी का नाम है’ स्त्री-विमर्श को नई ऊंचाई पर ले जाता है।
![आजाद तवायफ तराना](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/266/1714133/-eL69W-Cf1716888470995/1716888596334.jpg)
आजाद तवायफ तराना
तवायफों पर आई नई वेबसीरीज हीरामंडी ने फिर कोठेवालियों और देवदासियों के साथ हिंदुस्तानी सिनेमा के रिश्तों की याद दिलाई
![अगला द्रोण कौन](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/266/1714133/N9pp67ZiI1716887837432/1716888057000.jpg)
अगला द्रोण कौन
टीम इंडिया में अर्जुन तो बहुत, उन्हीं को संवारने के लिए एक ऐसे कोच की तलाश, जो टीम को तकनीकी-मानसिक मजबूती दे सके
![ममता दीदी की दुखती रग](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/266/1714133/9UlyX6_Ew1716887731419/1716887834974.jpg)
ममता दीदी की दुखती रग
इस चुनाव में अपनी पार्टी के नेताओं का भ्रष्टाचार ही ममता की सबसे बड़ी चुनौती
![हवा का रुख दोतरफा](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/266/1714133/yySA2aoEF1716886980724/1716887509535.jpg)
हवा का रुख दोतरफा
ईडी की कार्रवाइयों और जनता के मुद्दों पर टिका है चुनाव
![तीसरी बारी क्यों](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/266/1714133/8XYkzVH7p1716886807322/1716886948080.jpg)
तीसरी बारी क्यों
विपक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भ्रष्टाचार और संविधान बदलने तथा आरक्षण खत्म करने का आरोप लगाकर देश की जनता को गुमराह नहीं कर सकता
![क्या बदलाव होने वाला है?](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/266/1714133/Q-GWsWCLG1716886587274/1716886803930.jpg)
क्या बदलाव होने वाला है?
इस बार उत्तर प्रदेश के लोकसभा चुनाव में सवर्णों को अपने धर्म और वर्चस्व की चिंता दिख रही है, तो अवर्ण समाज के दिल को संविधान और लोकतंत्र का मुद्दा छू रहा
![किस ओर बैठेगा जनादेश](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/266/1714133/nsgXxkbCE1716886182270/1716886581654.jpg)
किस ओर बैठेगा जनादेश
बड़े राज्यों में कांटे के मुकाबले के मद्देनजर 4 जून को नतीजों के दिन ईवीएम से निकलने वाला जनादेश लगातार तीसरी बार एनडीए को गद्दी सौंपेगा या विपक्षी गठजोड़ 'इंडिया' के पक्ष में बदलाव की बानगी लिखेगा, यह लाख टके का सवाल देश की सियासत की अगली धारा तय करेगा