सब कुछ किसी फिल्मी कहानी की तरह था। छोटे-से चंडीगढ़ के नगर निगम का चुनाव सरेआम धांधली और अदालती हथौड़े के बजने की मिसाल बन गया। दोनों ही तरह की घटनाएं ऐतिहासिक थीं, यानी पहले कभी ऐसा न देखा, न सुना गया। 30 जनवरी को निगम के मेयर के वोटों की गिनती के वक्त पीठासीन अधिकारी का मतपत्रों पर निशान लगाकर आठ वोट रद्द करते वीडियो वायरल हो गया। 20 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने अधिकारी को अदालत में बुलाकर दंडित करने और उसी गिनती के आधार पर विजेता बदलने का फैसला सुनाया। इस तरह आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस के ‘इंडिया’ गठबंधन के कुलदीप कुमार धालोर मेयर बन गए, जो पहले धांधली की वजह से हार गए थे। गिनती के दिन विजेता बताए गए भाजपा के मनोज सोनकर अदालती सुनवाई शुरू हाते ही इस्तीफा देकर निकल गए। इससे ‘इंडिया’ गठबंधन को संजीवनी मिल गई है। आप के राष्ट्रीय संयोजक, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसे ‘संविधान और लोकतंत्र की जीत’ बताया।
この記事は Outlook Hindi の March 18, 2024 版に掲載されています。
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जौनपुर
इतिहास की गोद में ऊंघता-सा एक शहर है, उत्तर प्रदेश का जौनपुर। पुराने शहरों के साथ अक्सर ऐसा होता है कि वे किसी मील के पत्थर से यू टर्न लें और सभ्यता की सामान्य दिशा से उल्टी दिशा में चल पड़ें।
समय की गति की परख
इस संग्रह का महत्वपूर्ण पक्ष यह है कि कवि यहां अस्तित्ववाद के प्रश्नों से रूबरू होते हैं। निजी और वृहत्तर तौर पर जीवन को इस विमर्श के घेरे में लाकर कवि अस्तित्व से संबंधित प्रश्नों का उत्तर पाने का प्रयास करता है।
प्रकृति का सान्निध्य
वरिष्ठ कवयित्री सविता सिंह का नया संग्रह ‘वासना एक नदी का नाम है’ स्त्री-विमर्श को नई ऊंचाई पर ले जाता है।
आजाद तवायफ तराना
तवायफों पर आई नई वेबसीरीज हीरामंडी ने फिर कोठेवालियों और देवदासियों के साथ हिंदुस्तानी सिनेमा के रिश्तों की याद दिलाई
अगला द्रोण कौन
टीम इंडिया में अर्जुन तो बहुत, उन्हीं को संवारने के लिए एक ऐसे कोच की तलाश, जो टीम को तकनीकी-मानसिक मजबूती दे सके
ममता दीदी की दुखती रग
इस चुनाव में अपनी पार्टी के नेताओं का भ्रष्टाचार ही ममता की सबसे बड़ी चुनौती
हवा का रुख दोतरफा
ईडी की कार्रवाइयों और जनता के मुद्दों पर टिका है चुनाव
तीसरी बारी क्यों
विपक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भ्रष्टाचार और संविधान बदलने तथा आरक्षण खत्म करने का आरोप लगाकर देश की जनता को गुमराह नहीं कर सकता
क्या बदलाव होने वाला है?
इस बार उत्तर प्रदेश के लोकसभा चुनाव में सवर्णों को अपने धर्म और वर्चस्व की चिंता दिख रही है, तो अवर्ण समाज के दिल को संविधान और लोकतंत्र का मुद्दा छू रहा
किस ओर बैठेगा जनादेश
बड़े राज्यों में कांटे के मुकाबले के मद्देनजर 4 जून को नतीजों के दिन ईवीएम से निकलने वाला जनादेश लगातार तीसरी बार एनडीए को गद्दी सौंपेगा या विपक्षी गठजोड़ 'इंडिया' के पक्ष में बदलाव की बानगी लिखेगा, यह लाख टके का सवाल देश की सियासत की अगली धारा तय करेगा