गाँव के विद्यालय से प्रारम्भिक शिक्षा ग्रहण करने के पश्चात नरेंद्र नौवीं कक्षा तक ग़ाज़ीपुर शहर स्थित गवर्नमेंट सिटी इंटर कॉलेज में पढ़े तत्पश्चात दसवीं और बारहवीं की पढ़ाई आज़मगढ़ स्थित वेस्ली इंटर कॉलेज से पूरी की। आज़मगढ़ के प्रसिद्ध डीएवी डिग्री कॉलेज से बीएससी की डिग्री हासिल करने के पश्चात नरेंद्र कुमार सिंह ने बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया और इसी यूनिवर्सिटी के इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साईंसेस से साल 1980 में एमबीबीएस की डिग्री हासिल की।
दिसम्बर 1984 को इसी मेडिकल कॉलेज से डॉ. नरेंद्र कुमार सिंह ने एमएस किया तत्पश्चात डॉ. सिंह को एएमसी यानी आर्मी मेडिकल कॉर्प से नौकरी का ऑफर आया जिसे डॉ. सिंह ने सहर्ष स्वीकार कर लिया। आर्मी में कुछ माह अपनी सेवा देने के उपरान्त डॉ. सिंह को कोल इंडिया लिमिटेड से ऑफर आया और कोल इंडिया में कुछ महीनों की सेवा के उपरान्त डॉ. नरेंद्र को उत्तर प्रदेश सरकार से भी ऑफर मिला ऐसे में सीसीएल से त्यागपत्र देकर डॉ. सिंह ने उत्तर प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य विभाग में अपना योगदान दिया। कुछ वक़्त तक अपनी सेवाएं देने के उपरांत डॉ. नरेंद्र कुमार सिंह ने दिया
Bu hikaye Outlook Hindi dergisinin August 21, 2023 sayısından alınmıştır.
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जौनपुर
इतिहास की गोद में ऊंघता-सा एक शहर है, उत्तर प्रदेश का जौनपुर। पुराने शहरों के साथ अक्सर ऐसा होता है कि वे किसी मील के पत्थर से यू टर्न लें और सभ्यता की सामान्य दिशा से उल्टी दिशा में चल पड़ें।
समय की गति की परख
इस संग्रह का महत्वपूर्ण पक्ष यह है कि कवि यहां अस्तित्ववाद के प्रश्नों से रूबरू होते हैं। निजी और वृहत्तर तौर पर जीवन को इस विमर्श के घेरे में लाकर कवि अस्तित्व से संबंधित प्रश्नों का उत्तर पाने का प्रयास करता है।
प्रकृति का सान्निध्य
वरिष्ठ कवयित्री सविता सिंह का नया संग्रह ‘वासना एक नदी का नाम है’ स्त्री-विमर्श को नई ऊंचाई पर ले जाता है।
आजाद तवायफ तराना
तवायफों पर आई नई वेबसीरीज हीरामंडी ने फिर कोठेवालियों और देवदासियों के साथ हिंदुस्तानी सिनेमा के रिश्तों की याद दिलाई
अगला द्रोण कौन
टीम इंडिया में अर्जुन तो बहुत, उन्हीं को संवारने के लिए एक ऐसे कोच की तलाश, जो टीम को तकनीकी-मानसिक मजबूती दे सके
ममता दीदी की दुखती रग
इस चुनाव में अपनी पार्टी के नेताओं का भ्रष्टाचार ही ममता की सबसे बड़ी चुनौती
हवा का रुख दोतरफा
ईडी की कार्रवाइयों और जनता के मुद्दों पर टिका है चुनाव
तीसरी बारी क्यों
विपक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भ्रष्टाचार और संविधान बदलने तथा आरक्षण खत्म करने का आरोप लगाकर देश की जनता को गुमराह नहीं कर सकता
क्या बदलाव होने वाला है?
इस बार उत्तर प्रदेश के लोकसभा चुनाव में सवर्णों को अपने धर्म और वर्चस्व की चिंता दिख रही है, तो अवर्ण समाज के दिल को संविधान और लोकतंत्र का मुद्दा छू रहा
किस ओर बैठेगा जनादेश
बड़े राज्यों में कांटे के मुकाबले के मद्देनजर 4 जून को नतीजों के दिन ईवीएम से निकलने वाला जनादेश लगातार तीसरी बार एनडीए को गद्दी सौंपेगा या विपक्षी गठजोड़ 'इंडिया' के पक्ष में बदलाव की बानगी लिखेगा, यह लाख टके का सवाल देश की सियासत की अगली धारा तय करेगा