एनईपी 2020 में चुनौतियों से पार पाने और समानता और समावेश के साथ उच्च गुणवत्ता वाली उच्च शिक्षा प्रदान करने के लिए उच्च शिक्षा प्रणाली में आमूल-चूल परिवर्तन और पुन: ऊर्जा भरने की परिकल्पना है। यह बहविषयक विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षा समूहों और स्वायत्त कॉलेजों की स्थापना की सिफारिश करता है। यह संकाय और संस्थागत स्वायत्तता की ओर बढ़ने के लिए कहता है।
एनईपी 2020 में यह भी कहा गया है कि एक स्वायत्त डिग्री प्रदाता कॉलेज से आशय उच्च शिक्षा देने वाला एक विशाल बहु-विषयक संस्थान है, जो स्नातक की डिग्री प्रदान करता है और मुख्य रूप से स्नातक शिक्षण पर केंद्रित है, हालांकि उस तक सीमित नहीं होगा। यह संस्थान आम तौर पर एक विश्वविद्यालय से छोटा होगा। इसमें यह भी कहा गया है कि ग्रेडेड मान्यता की पारदर्शी प्रणाली के माध्यम से कॉलेजों को श्रेणीबद्ध स्वायत्तता देने के लिए एक चरण- वार तंत्र स्थापित किया जाएगा। कॉलेजों को प्रत्येक मान्यता या रैंकिंग स्तर के लिए आवश्यक न्यूनतम बेंचमार्क को धीरे-धीरे प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। समय के साथ यह परिकल्पना की गई है कि प्रत्येक कॉलेज या तो स्वायत्त डिग्री प्रदाता या किसी विश्वविद्यालय के घटक के रूप में विकसित हो, जो पूरी तरह से विश्वविद्यालय का एक हिस्सा होगा। उचित रैंकिंग या मान्यता के साथ, स्वायत्त डिग्री प्रदाता कॉलेज अनुसंधान केंद्रित या शिक्षण केंद्रित विश्वविद्यालयों में भी विकसित हो सकते हैं, अगर वे ऐसी आकांक्षा रखते हैं।
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जौनपुर
इतिहास की गोद में ऊंघता-सा एक शहर है, उत्तर प्रदेश का जौनपुर। पुराने शहरों के साथ अक्सर ऐसा होता है कि वे किसी मील के पत्थर से यू टर्न लें और सभ्यता की सामान्य दिशा से उल्टी दिशा में चल पड़ें।
समय की गति की परख
इस संग्रह का महत्वपूर्ण पक्ष यह है कि कवि यहां अस्तित्ववाद के प्रश्नों से रूबरू होते हैं। निजी और वृहत्तर तौर पर जीवन को इस विमर्श के घेरे में लाकर कवि अस्तित्व से संबंधित प्रश्नों का उत्तर पाने का प्रयास करता है।
प्रकृति का सान्निध्य
वरिष्ठ कवयित्री सविता सिंह का नया संग्रह ‘वासना एक नदी का नाम है’ स्त्री-विमर्श को नई ऊंचाई पर ले जाता है।
आजाद तवायफ तराना
तवायफों पर आई नई वेबसीरीज हीरामंडी ने फिर कोठेवालियों और देवदासियों के साथ हिंदुस्तानी सिनेमा के रिश्तों की याद दिलाई
अगला द्रोण कौन
टीम इंडिया में अर्जुन तो बहुत, उन्हीं को संवारने के लिए एक ऐसे कोच की तलाश, जो टीम को तकनीकी-मानसिक मजबूती दे सके
ममता दीदी की दुखती रग
इस चुनाव में अपनी पार्टी के नेताओं का भ्रष्टाचार ही ममता की सबसे बड़ी चुनौती
हवा का रुख दोतरफा
ईडी की कार्रवाइयों और जनता के मुद्दों पर टिका है चुनाव
तीसरी बारी क्यों
विपक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भ्रष्टाचार और संविधान बदलने तथा आरक्षण खत्म करने का आरोप लगाकर देश की जनता को गुमराह नहीं कर सकता
क्या बदलाव होने वाला है?
इस बार उत्तर प्रदेश के लोकसभा चुनाव में सवर्णों को अपने धर्म और वर्चस्व की चिंता दिख रही है, तो अवर्ण समाज के दिल को संविधान और लोकतंत्र का मुद्दा छू रहा
किस ओर बैठेगा जनादेश
बड़े राज्यों में कांटे के मुकाबले के मद्देनजर 4 जून को नतीजों के दिन ईवीएम से निकलने वाला जनादेश लगातार तीसरी बार एनडीए को गद्दी सौंपेगा या विपक्षी गठजोड़ 'इंडिया' के पक्ष में बदलाव की बानगी लिखेगा, यह लाख टके का सवाल देश की सियासत की अगली धारा तय करेगा