प्र. मोदीनॉमिक्स के 10 साल हो गए हैं. मोदी सरकार की नीतियों के चार मुख्य स्तंभ क्या रहे हैं, जिनसे अर्थव्यवस्था न सिर्फ महामारी के बाद पटरी पर लौटी, बल्कि 7.6 फीसद की मजबूत वृद्धि दर्ज की?
मेरे दिमाग में जो चार बातें फौरन आती हैं, उनमें एक, भारत के बारे में भ्रामक धारणा को दूर करने लिए किया गया प्रयास है कि आप कुछ भी करने के काबिल नहीं, कि आप बढ़ नहीं सकते, कि आप भ्रष्ट हैं, कि आपकी लालफीताशाही हमेशा कायम रहेगी...दूसरा, यह तय करना कि नीतियां लोगों और उनकी जरूरतों के मुताबिक हों - इतनी रैडिकल न हों कि खारिज कर दी जाएं, लेकिन भारत को आगे ले जाएं, नीतियां स्थिर हों जो लोगों को हमारे देश की ओर आकर्षित करें, अपने देश के लोगों को यकीन दिलाएं कि सरकारें काम कर सकती हैं और न सिर्फ गरीबों और जरूरतमंदों, बल्कि व्यावस्था में सुधार के लिए भी तीसरा, यह तय करना रहा कि उन क्षेत्रों की पहचान की जाए, जिनमें नीतियां टिकाऊ विकास के साथ 21वीं सदी की जरूरतों को पूरा करने के लिए बनें. और चौथा, उन क्षेत्रों की पहचान करें जिनमें भारत विश्व स्तर पर नेतृत्व कर सकता है, उनमें निवेश करें और लोगों को उस ओर बढ़ने में मदद मुहैया करें और देश को फायदा पहुंचाएं.
● आपने सुधारों में संतुलन बनाए रखने की बात की, मगर 2016 में नोटबंदी ने अर्थव्यवस्था को बुरी तरह झकझोर दिया. उसके अमल से क्या सबक मिले?
तथ्य यह है कि लोगों ने उसे बड़ी नोटों की वजह से काले धन को दूर करने के बड़े कदम के रूप में स्वीकार किया. लोगों ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के इरादे एकदम साफ हैं; हां, कठिनाइयां हैं, हम उनका मुकाबला करेंगे. इसका एक नतीजा यह हुआ कि लोग उसकी और कोविड की वजह से डिजिटल लेनदेन ज्यादा करने लगे. और आप कह रहे हैं कि भारत ने अपने लिए नेतृत्व की भूमिका तैयार की, यह सिर्फ नेताओं के मामले में नहीं, (बल्कि) आम लोगों के लिए भी, जिस तरह से उन्होंने इसे अपनाया है. विदेशों से आने वाले कुछ नेता यह देख बेहद प्रभावित होते हैं कि नारियल पानीवाला, ठेलेवाला, यहां तक कि दूर-दराज के गांवों में भी लोग कितनी आसानी से इसका इस्तेमाल कर रहे हैं.
Esta historia es de la edición May 08, 2024 de India Today Hindi.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 8500 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor ? Conectar
Esta historia es de la edición May 08, 2024 de India Today Hindi.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 8500 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor? Conectar
अच्छे लगते हैं बैड बॉय
वीजे, ऐक्टर और अब ट्रैवल इन्फ्लुएंसर बनीं शेनाज ट्रेजरी अतीत के इन रोमांसों पर एक किताब लेकर आईं: ऑल ही लेफ्ट मी वाज ए रेसिपी
कान्स 2024 में भारत
तीस साल में पहली बार 2024 कान्स फिल्म फेस्टिवल में पाम डी'ओर प्रतिस्पर्धा खंड में भारत की एक फीचर फिल्म को जगह मिली है. जी हां, इसके अलावा भी बहुत कुछ है...
थिएटर मेरी जान
अपने म्यूजिकल और भव्य नाटकों के लिए मशहूर रंगकर्मी फिरोज अब्बास खान की लेटर्स ऑफ सुरेश के साथ क्लासिक थिएटर में वापसी
खेवनहारों की ही नैया मझधार में
नौ फीसदी आबादी वाला निषाद समूह बड़ी ताकत बन कर उभरा. मुजफ्फरपुर सीट पर दोनों धड़ों के उम्मीदवार इसी समुदाय से निषादों की राजनीति करने वाले मुकेश सहनी से राजद ने समझौता कर उनकी पार्टी को तीन सीटें दीं. पर कहां हैं निषादों के असली सवाल?
जगन की असली अग्निपरीक्षा
लोकसभा और विधानसभा चुनाव में मतदाताओं के बीच पैठ बढ़ाने के मामले में जगन मोहन रेड्डी की वाइएसआरसीपी को एन. चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी से कड़ी टक्कर मिल रही. मगर जगन की कल्याणकारी योजनाएं उन्हें बढ़त दिला सकती हैं
उथल-पुथल का दौर
पहले से चले आ रहे अनसुलझे मुद्दों की छाया में चौकोने मुकाबले के लिए तैयार हो रहे पंजाब में दलबदल और अंतर्कलह हुई आम बात
मजबूत किले की पहरेदारी
विधानसभा चुनाव में शानदार जीत के बाद भाजपा अपने गढ़ में मजबूत नजर आ रही है. वहीं, पस्त पड़ चुकी कांग्रेस को भगवा खेमे की किसी ऐसी चूक का इंतजार है, जिसका वह फायदा उठा पाए
गांधी परिवार की साख का सवाल
कांग्रेस नेता राहुल गांधी अपनी मां सोनिया गांधी की लोकसभा सीट रायबरेली से चुनाव लड़ रहे, अमेठी से गांधी परिवार के करीबी किशोरी लाल शर्मा मैदान में. दोनों सीटों पर कांग्रेस को भाजपा से कड़ी चुनौती
दिल जीतने की जीतोड़ कोशिश
पहली बार लोकसभा चुनाव के लिए उतरे केंद्रीय वाणिज्य मंत्री चुनावी राजनीति के ऊबड़-खाबड़ गली-चौराहे नाप रहे. अपने सहज स्वभाव के साथ सधे अंदाज में वे उत्तर मुंबई संसदीय क्षेत्र के लोगों का मन जीतने की कोशिश में जमकर पसीना बहा रहे
क्या है महिला मतदाताओं की मांग
राजनैतिक दल महिलाओं के लिए उनकी लैंगिक भूमिकाओं पर आधारित योजनाएं लाते हैं और वादे करते हैं. मगर देशभर की महिलाओं ने बताया कि असल में वे किन चीजों की उम्मीद करती हैं-नौकरियां, शिक्षा, विकास. ये वही चीजें हैं जिनकी अपेक्षा पुरुष भी करते हैं