मायावती ने 'बड़ों' का साथ ठुकराया 'छोटों' को अपनाया
DASTAKTIMES|February 2024
बसपा भले ही इस बार अकेले ही चुनाव मैदान में उतर रही हो, लेकिन बसपा प्रमुख ने यह भी कहा है कि चुनाव बाद अपनी शर्तों पर सरकार में शामिल हो सकती है। इसी को ध्यान में रखते हुए बसपा अपनी रणनीति भी तैयार कर रही है। उसकी कोशिश है कि मजबूत सीटो पर फोकस कर लिया जाए तो प्रदर्शन बेहतर हो सकता है। बसपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती वो सीटिंग सीटें हैं, जहां वह पिछली बार चुनाव जीती थी। इसमें से वह यदि कुछ सीटें भी जीत लेती हैं तो चुनाव बाद सियासी सौदेबाजी की उनकी ताकत बढ़ जायेगी।
संजय सक्सेना
मायावती ने 'बड़ों' का साथ ठुकराया 'छोटों' को अपनाया

बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने अकेले चुनाव लड़ने के फैसले के साथ ही यूपी में आने वाली लोकसभा की सभी 80 सीटों के लिए प्रत्याशियों का चयन और जातीय समीकरण बैठाने के लिए रणनीति बनाना शुरू कर दिया है। मायावती के अकेले चुनाव लड़ने के फैसले के साथ इस बात को लेकर कयास भी शुरू हो गये हैं कि अबकी बार मायावती नये कलेवर और फ्लेवर के साथ चुनाव सभाएं करती नजर आ सकती हैं। इस बार उनकी चुनावी सभाओं की विस्तृत श्रृंखला देखने को मिले तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए। बसपा सुप्रीमो सियासी हवा का रुख बदलने और माहौल पहचानने में महारथ रखती हैं। इसीलिए उनका सबसे पहले उन 10 सीटों पर फोकस है, जिन पर उन्होंने 2019 में जीत हासिल की थी। उसके वर्तमान सांसदों के दूसरे दलों के संपर्क में आने की खबरें भी आ रही हैं, इसे देखते हुए बसपा उनके विकल्प तलाश रही है। पार्टी उन खास सीटों पर भी काम कर रही है जहां पिछले लोकसभा चुनाव में बसपा ने 40 फीसदी से अधिक वोट हासिल किए थे। गौरतलब हो कि बसपा ने 2019 का लोकसभा चुनाव सपा के साथ मिलकर लड़ा था। उसने 38 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे। इनमें से जीती हुई सीटों के अलावा 10 और सीटें ऐसी थीं जिन पर उसे 40 फीसदी से अधिक वोट हासिल हुए थे। यहां बसपा प्रत्याशी को बहुत कम वोटों के अंतर से हार मिली थी। वहीं जीती हुई सीटों के अलावा 21 सीटें ऐसी थीं, जहां 40 फीसदी से कम लेकिन 35 फीसदी से ज्यादा वोट मिले थे। मायावती की नजर ऐसी सीटों पर भी है जहां दलित वोटर बहुसंख्यक हैं और यहां बसपा का प्रदर्शन अक्सर बेहतर रहा है। इनमें सहारनपुर, अम्बेडकर नगर, बिजनौर, नगीना, अमरोहा, आगरा जैसी कुछ सीटें विशेष रूप से शामिल हैं। पार्टी की कोशिश है कि ऐसे मजबूत सीटों पर बेहतर प्रत्याशी देकर वहां ठीक से प्रचार किया जाए तो पासा पलट सकता है। यहां पर मायावती के अलावा भी पार्टी के अन्य बड़े नेताओं की अधिक से अधिक बैठकें और जनसभाएं की जाएंगी।

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उनका हर किरदार है अभिनय की पाठशाला
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कभी खलनायक तो कभी पुजारी और चर्चित सीरियल 'ऑफिस-ऑफिस' में मुसद्दीलाल न पर्दे पर छाए पंकज कपूर के सभी किरदार अभिनय की पाठशाला हैं। हिन्दी सिनेमा में बहुत कम कलाकार ऐसे हैं, जिन्होंने अपने किरदारों से अभिनय को परिभाषित किया है। उनके किरदारों की पहचान उनके नाम से आगे चलती है।

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May 2024
भारत की पहली 'हाइब्रिड पिच' बनेगी धर्मशाला
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भारत की पहली 'हाइब्रिड पिच' बनेगी धर्मशाला

हाइब्रिड पिच में मैदान के अंदर की कुदरती टर्फ यानी मैदान की घास के साथ कुछ फीसदी हिस्सा पोलिमर फाइबर का होता है। इससे पिच टिकाऊ रहती है और इस पर एक जैसा उछाल भी मिलता है। इसमें पोलिमर फाइबर का इस्तेमाल पांच फीसदी ही होता है जिससे पिच के नेचुरल गुण बने रहें। यह आमतौर पर बेज या हरे रंग के होते हैं, इन्हें 20-20 मिमी ग्रेड के नियमित पैटर्नमें 90 मिमी की गहराई तक सिला जाता है।

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May 2024
आईपीएल यानि क्रिकेटेनमेंट
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आईपीएल यानि क्रिकेटेनमेंट

फटाफट क्रिकेट आईपीएल में ये पूरी तरह क्रिकेटेनमेंट बन जाता है। बॉलीवुड सितारों की चमक-दमक के साथ तीन घंटे का रोमांच। इस दौरान यह खेल नाटक में तब्दील हो जाता है। एक नया मार्केट प्लेस जिसे 'क्रिकेटेनमेंट' के नाम से जाना जाता है। यहां क्रिकेट बिल्कुल अलग तरीके से खेला जाता है। मजे लेने का अंदाज भी जुदा है। स्टेडियम में बड़ा रंगीन माहौल होता है। हर चौके, छक्के और विकेट पर चीयर लीडर्स डांस करती हैं।

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May 2024
सिविल अधिकारियों की चुनौतियों पर बेबाक चर्चा होनी चाहिए!
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सिविल अधिकारियों की चुनौतियों पर बेबाक चर्चा होनी चाहिए!

सदनों की समिति के भीतर जनप्रतिनिधियों द्वारा पूछे गए उत्तर अधिकारियों को नागवार लगते हैं। निर्वाचित सरकार द्वारा बनाए गए कार्यक्रमों को पूरा करना सिविल अधिकारियों की जिम्मेदारी है। विकास कार्यों को ठीक से सम्पन्न कराना भी इन्हीं की जिम्मेदारी है। लेकिन तमाम राज्यों में भिन्न-भिन्न विभागों के लिए निर्धारित बजट का बड़ा भाग उपयोग में ही नहीं आता।

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May 2024
माँ का रिश्ता सबसे अनमोल
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अंतर्राष्ट्रीय मातृ दिवस (12 मई) पर विशेष

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May 2024
दुनिया की 'कैंसर राजधानी' बनता भारत
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दुनिया की 'कैंसर राजधानी' बनता भारत

महिलाओं में सबसे आम कैंसर स्तन कैंसर, गर्भाशय ग्रीवा कैंसर और डिम्बग्रंथि कैंसर हैं, जबकि पुरुषों में आमतौर पर पाये जाने वाले कैंसर में फेफड़े, मुंह और प्रोस्टेट आदि जैसे कैंसर शामिल हैं। वैश्विक प्रवृत्ति के विपरीत, भारत में सबसे अधिक महिलाओं में कैंसर का निदान किया जाता है। हालांकि भारत में सालाना दस लाख से अधिक नए मामले सामने आते हैं, यहां कैंसर की दर डेनमार्क, आयरलैंड और बेल्जियम जैसे देशों या अमेरिका से कम है।

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May 2024
छद्म की जगह खुला युद्ध क्यों चुन रहा ईरान!
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छद्म की जगह खुला युद्ध क्यों चुन रहा ईरान!

नेताओं ईरान के परमाणु कार्यक्रम के प्रति इजराइल का यह डर, पूर्व में ईरानी द्वारा खुले तौर पर इजराइल के विनाश की वकालत करने से सच साबित होता है। उदाहरण के लिए, अक्टूबर 2005 में ईरान के राष्ट्रपति महमूद अहमदी ने खुले रूप से घोषणा किया कि इजराइल को 'मानचित्र से मिटा दिया जाना चाहिए।' इस उत्तेजक बयानबाजी ने इजराइली चिंताओं को बढ़ाया है जो ईरान की परमाणु महत्त्वाकांक्षाओं से उत्पन्न कथित खतरे को रेखांकित करता है।

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May 2024
क्या चीन की गोद में खेल रहे सोनम वांगचुक?
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क्या चीन की गोद में खेल रहे सोनम वांगचुक?

सोनम वांगचुक को जिस मूवी थ्री इडियट्स ने हीरो बनाया, वह मूवी उनकी असली जिंदगी से एक प्रतिशत भी वास्ता नहीं रखती, यह बात खुद सोनम वांगचुक ने दर्जनों बार मीडिया में कबूली है। मूवी में जिस वैज्ञानिक फुन्सुक (सोनम वांगचुक से प्रेरित चरित्र) का किरदार आमिर खान ने निभाया है, वह माली का बेटा है, जबकि सोनम वांगचुक मंत्री के बेटे हैं। उनके पिता सोनम वांग्याल कांग्रेस नेता थे, जो बाद में राज्य सरकार में मंत्री बने।

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May 2024
बाड़मेर में राष्ट्रीय दलों के खिलाफ युवा जनसैलाब
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बाड़मेर में राष्ट्रीय दलों के खिलाफ युवा जनसैलाब

रवीन्द्र सिंह भाटी को टिकट न देकर बीजेपी ने अपनी मुश्किलें बढ़ा ली हैं। अब कांग्रेस को जीत की किरण दिख रही है, लेकिन सर्वे कुछ और बयां कर रहे है। 2024 में राजस्थान की बाड़मेरजैसलमेर सीट चर्चा का विषय बनी हुई है। शिव विधानसभा सीट से विधायक बनने वाले रवीन्द्र सिंह भाटी ने निर्दलीय पर्चा भरा है। उनके चुनावी मैदान में उतरने से बाड़मेर के समीकरण रोचक हो गए हैं।

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May 2024
नक्सलियों के गढ़ में जमकर वोटिंग
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नक्सलियों के गढ़ में जमकर वोटिंग

प्रथम चरण के लोकसभा चुनाव में 19 अप्रैल को बस्तर संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में शांतिपूर्ण तरीके से वोट पड़े और मतदान प्रतिशत में भी इजाफा हुआ है। बस्तर में जहां पहले नक्सली चुनाव के दौरान भय पैदा करने के लिए धमाके करते थे, गांव में बैठक कर लोगों को डराते थे, मगर नक्सलियों का अब यह डर लोगों के दिमाग से निकल चुका है। यह कहा जा सकता है कि बैलेट पेपर अब बारूद पर भारी पड़ रहा है।

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May 2024