हाल ही में नवरात्र खत्म हुए हैं और हर बार की तरह इस बार भी सोशल मीडिया पर ऐसे पोस्टर छाए रहे, जिसमें एक महिला को अष्टभुजाधारी दिखा दिया जाता है। ये महिला बेलन, बच्चा, बाल्टी से लेकर लैपटॉप और दफ्तर की भारी-भरकम फाइलों को एक साथ कुशलता से संभालती नजर आती है। ऐसी कल्पना एक पुरुष के लिए क्यों नहीं की गई ? पुरुष पोस्टर में या तो सफलता की सीढ़ी चढ़ने की कोशिश करते नजर आते हैं या घुटनों पर बैठकर अपने दिल का हाल जाहिर कर रहे होते हैं। ऐसा नहीं है कि पुरुष आज वॉशिंग मशीन में कपड़े नहीं धो रहे। वे चाय भी बनाते हैं और बच्चे का डायपर भी बदल ही देते हैं। पर, फिर भी पुरुष की अष्टभुजा की कल्पना अभी कोसों दूर है। हकीकत यही है कि महिलाओं को कभी दबे-छुपे तो कभी खुलकर यही कहा जाता है कि तुम्हें अपना करियर बनाना है, तो बेशक बनाओ, लेकिन घर का काम प्रभावित नहीं होना चाहिए।
तुम दफ्तर से वापस आओगी तो सबसे पहले चाय बना देना और बाकी लोगों को भी पिला देना। दफ्तर में बैठे हुए भी बच्चों पर सीसीटीवी से तुम्हें ही नजर रखनी होगी। समय-समय पर उन्हें होमवर्क के लिए भी टोकना होगा। हां, सुबह दफ्तर के लिए निकलने से पहले नाश्ता और दोपहर की सब्जी बनाना मत भूलना। बच्चों के लिए समय तो तुम्हें ही निकालना होगा, मां जो ठहरी। जो काम सप्ताह भर में बच जाए, उन्हें वीकेंड में कर लिया करो। अरे वही वीकेंड, जिसमें सब आराम करते हैं, पर तुम्हारा इस शब्द से कोई वास्ता नहीं होना चाहिए। तुम अष्टभुजा धारी जो ठहरी।
Bu hikaye Anokhi dergisinin April 20, 2024 sayısından alınmıştır.
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