"हां, हां, जल्दी चलो, नहीं तो कोई हमारे स्थान पर बैठ सकता है और तब हमें कल की तरह धूप में बैठ कर खाना खाना पड़ेगा," अपना लंचबौक्स थामे स्वाति बोली.
लंच ब्रेक जरूरी है, क्योंकि बच्चे जब अपना लंचबौक्स खोलते हैं तो अपनीअपनी मां का प्यार महसूस करते हैं. मुलायम हाथों से वे अपनी मां द्वारा बनाए गए स्वादिष्ट और पौष्टिक भोजन की प्रशंसा करते हैं, जिन्होंने रसोई में जा कर उन के लिए भोजन तैयार किया है. वे चाहती हैं कि उन के बच्चे अपना दोपहर का पूरा खाना खा लें. मांएं इस बात से चिंतित रहती हैं कि बच्चों के पास खाने के लिए पर्याप्त खाना है कि हीं, कहीं वे भूखे न रह जाएं.
लेकिन हर बच्चे की परिस्थिति एक जैसी नहीं होती. "चलो केतन, हमारे साथ जुड़ो," ऋषभ ने केतन से कहा, जो चुपचाप बैठा था. सभी को अपने लंच के लिए इतना उत्साहित देख कर उस ने अपना चेहरा छिपा लिया था, ताकि वे उन के साथ शामिल होने पर जोर न दे सकें. वह नहीं चाहता था कि वे देखें कि उस का दोपहर का भोजन पिछले दिन जैसा ही था.
"नहीं, तुम लोग जाओ, मैं यहीं खाना खाऊंगा," केतन ने उत्तर दिया था.
"ओह, चलो. क्या तुम्हें हमारे साथ खाने में मजा नहीं आएगा?" ऋषभ ने जिद की.
"मैं यहां अच्छा खाना खा रहा हूं," केतन ने भी जोर दे कर कहा.
केतन को स्कूल आए सिर्फ एक साल ही हुआ था. उसके मम्मी पापा को जबलपुर से रायपुर जाना पड़ा था.
उस के पापा का समय अच्छा नहीं चल रहा था, कई कठिनाइयों और महीनों घर पर बैठने के बाद आखिर उन्हें दूसरे शहर में सहायक प्रबंधक की नौकरी मिल गई.
उसकी मां ने घर की जिम्मेदारी संभाली और वे सुबह शाम गणित का ट्यूशन पढ़ाती थीं. केतन और उसकी बहन ने हाल ही में नए स्कूल में दाखिला लिया था.
घर की परिस्थितियां चाहे जैसी भी हों, केतन स्कूल में सभी का चहेता था. पढ़ाई और मौजमस्ती में भी वह अच्छा था. वह हरेक व्याख्यान को बड़े ध्यान से सुनता और नोट्स बनाता था. सभी छात्रों के बीच उस के चेहरे पर एक अनोखी चमक थी, जिसे हर कोई पसंद करता था.
अपने दोस्तों को नाराज न करते इच्छा हुए, केतन बिना के दोपहर का भोजन करने के लिए उन के साथ शामिल हो गया.
"अपना लंचबौक्स ले जाओ," स्वाति ने कहा.
"मुझे भूख नहीं है. मैं बस, तुम लोगों के साथ बैठूंगा.:
هذه القصة مأخوذة من طبعة May First 2024 من Champak - Hindi.
ابدأ النسخة التجريبية المجانية من Magzter GOLD لمدة 7 أيام للوصول إلى آلاف القصص المتميزة المنسقة وأكثر من 9,000 مجلة وصحيفة.
بالفعل مشترك ? تسجيل الدخول
هذه القصة مأخوذة من طبعة May First 2024 من Champak - Hindi.
ابدأ النسخة التجريبية المجانية من Magzter GOLD لمدة 7 أيام للوصول إلى آلاف القصص المتميزة المنسقة وأكثر من 9,000 مجلة وصحيفة.
بالفعل مشترك? تسجيل الدخول
मोबाइल वाला चूहा
रिकी चूहा अपने बिल से बाहर निकला और किसी काम के लिए चल पड़ा. कैटी बिल्ली ने उसे देखा और पकड़ने के लिए दौड़ी, लेकिन रिकी उस से ज्यादा स्मार्ट निकला.
हैलोवीन कौस्ट्यूम पार्टी
नंदू हैलोवीन पार्टी के लिए सोहम के घर पहुंचने वाला पहला व्यक्ति था.
सीधा सादा सौदा
मणि ने जब उसने हौल में प्रवेश किया तो था 'को अपने दोस्तों के साथ बहस करते हुए सुना.
आइए, रोबोटिक्स मार्बल्स से मिलिए
वेआम किशोरों की तरह देख सकते हैं, लेकिन 10 बच्चों की यह टीम हाईस्कूल के छात्रों के लिए दुनिया की सब से रोबोटिक्स चुनौती है. 13 से 17 वर्ष की उम्र के प्रत्येक सदस्य ने 26 से 29 सितंबर को एथेंस ग्रीस में संपन्न हुए फर्स्ट ग्लोबल चैलेंज (एफजीसी) में टीम इंडिया का प्रतिनिधित्व किया.
भूतप्रेतों के आने का समय
बूआ 3 दिन के लिए गांव से हमारे साथ रहने आई थीं और मैं रोमांचित थी, क्योंकि वे हमें बहुत सारी कहानियां सुनाया करती थीं. उन के पास कहानियों का खजाना होता था. इस बार हैलोवीन यानी भूतों का त्योहार 3 दिन बाद आने वाला था.
एक घर पहाड़ी के उस पार
आसमान में शाम ढल रही थी. बैगनी रंग के घर के बाहर शरद ऋतु की ठंडी हवा बह रही थी, उस घर के चारों तरफ बिना पत्तों के कुछ पेड़ खड़े थे.
डरावनी रात
रात हो चुकी थी. डोडो हिरण शहर से जंगल की ओर लौट रहा था.
कौफी का स्वाद
गिन्नी बकरी मजे से एक खेत में घुस कर हरी घास का आनंद ले रही थी कि तभी खेत का मालिक डंडा ले कर उस के पीछे दौड़ा. गिन्नी ने तेजी से दौड़ लगाई और सड़क किनारे खड़े ट्रक के अंदर छिप गई. उस ने कुछ ज्यादा ही घास चर ली थी, इसलिए उसे सुस्ती आ गई और वह सो गई.
धूमधाम से रावण दहन
दशहरा आने वाला था, इसलिए टीचर्स और स्टूडेंट्स हर साल की तरह स्कूल में इस खास अवसर पर आयोजित किए जाने वाले तीन दिवसीय मे की तैयारी में व्यस्त थे. इस बार मेले की तैयारी में रामलीला मंचन की जिम्मेदारी कक्षा 3, 4 व 5वीं के बच्चों को सौंपी गई थी, तो कक्षा 6, 7 और 8वीं के बच्चों को इस बार रावण के पुतले बनाने की जिम्मेदारी दी गई थी.
आए गांधी बाबा
\"बाबा, इतनी सुबहसुबह आप कहां चल दिए?\" स्काई पार्क में बैठे गांधी बाबा के क्रांतिकारी साथियों ने पूछा. वह मुसकरा दिए...