आदित्य के घर के पास ही एक छोटा सा पार्क था. वह हर रविवार को अपने दोस्त रोहन, अयांश और सान्वी के साथ पार्क में खेलने जाता था.
एक दिन आदित्य जब पार्क में पहुंचा तो वहां का दृश्य देख कर वह हैरान रह गया. पार्क में इधरउधर गंदगी फैली थी. वहां लगे पौधे सूख रहे थे. प्लास्टिक के थैले और इधरउधर बोतलें बिखरी थीं. कूड़ेदान भी कचरे से भरा था.
आदित्य ने गेट पर खड़े गार्ड से पूछा, "पार्क में इतनी गंदगी कैसे फैली है?"
"पार्क का सफाई कर्मचारी किसी जरूरी काम से एक महीने की छुट्टी पर है. इसलिए कोई भी वहां सफाई नहीं कर रहा है. यहां आने वाले लोग इधरउधर कचरा फेंक देते हैं. इस वजह से पार्क गंदा हो गया है. मैं उन्हें समझाता हूं, पर कोई मेरी बात नहीं सुनता," गार्ड ने बताया.
"क्या कोई और इस की सफाई नहीं कर सकता?" आदित्य ने पूछा.
गार्ड ने जवाब दिया, "सफाई करवाना तो नगर निगम का काम है. जब वह किसी सफाईकर्मी को भेजेंगे तभी सफाई होगी."
आदित्य ने घर आ कर अपने पापा से भी पार्क की सफाई के बारे में बात की.
Bu hikaye Champak - Hindi dergisinin March First 2024 sayısından alınmıştır.
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